बेंगलूरु. सुमतिनाथ जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ रायचूर में विराजित आचार्य महेंद्रसागर सूरी की निश्रा में सुमतिनाथ जिनालय के 51वें ध्वजारोहण के उपलक्ष में पंचान्हिका महोत्सव का आयोजन चल रहा है। चौथे दिन रविवार को आचार्य महेंद्रसागर सूरी ने कहा कि प्रभु प्रसाद को पाने के 3 उपाय है। पहला प्रकार है तन का अर्पण, अपने शरीर के प्रति कठोर बन कर उसे तप, जप, तीर्थयात्रा, गुरु सेवा जैसी उग्र साधना में जोडऩा। शरीर से जितनी हो सके उतनी साधना, आराधना करना ही तन अर्पण है। मन का समर्पण करना मन की स्वच्छंदता, पसंद, नापसंद, सब कुछ छोड़ कर मन की नहीं अपितु भगवान की मानना जिनाज्ञा को समर्पित बनना, मन का समर्पण है। जीवन में प्रभु का पदार्पण हो अपना जीवन ही जिनाज्ञा का पर्याय बन जाना चाहिए। ये जीवन में हुए प्रभु के पगलिए हैं। प्रारब्ध से भी अति बलवान प्रभु का जीवन में आगमन है। सुख में प्रभु के जो नजदीक रहे, वही व्यक्ति दुख में भी शांति और समाधि रख सकता है। आज पढ़ाया गया ऋषि मंडल पूजन का लाभचंद की स्मृति में रणजीतराज, विशाल कुमार कटारिया परिवार ने लिया। परमात्मा की भक्ति सृजन आत्मा को संसार रूपी समुद्र से भव पार लगाती है।