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मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट ने 4 जुलाई 2012 में देश भर के केंद्रीय विद्यालयों द्वारा "नए वर्दी पैटर्न" को अपनाने का ऐलान किया था
नई दिल्ली: मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट ने 4 जुलाई 2012 में देश भर के केंद्रीय विद्यालयों द्वारा "नए वर्दी पैटर्न" को अपनाने का ऐलान किया था. साल 2012 में पहली बार केंद्रीय विद्यालयों के छोत्रों के लिए ड्रेस कोड में बदलाव किया गया था.
क्या था केंद्रीय विद्यालयों का ड्रेस कोड
केंद्रीय विद्यालयों द्वारा "नए वर्दी पैटर्न" में स्कार्फ और पगड़ी के लिए नए पैटर्न शामिल थे, इसमें मुसलिम लड़कियों को यूनिफॉर्म का हिजाब पहनने की इजाज़त दी गई थी, जिसे 18 मई, 2012 में केंद्रीय विद्यालयों की केवीएस बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की मीटिंग में मंजूरी दी गई थी.
सरकार ने केंद्रीय विद्यालयों के ड्रेस कोड पर किया कहा था
वहीं, 8 अगस्त, 2012 को नए ड्रेस कोड पर लोकसभा के एक सवाल के जवाब में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कहा था कि "केंद्रीय विद्यालयों के छात्रों के लिए वर्दी के पैटर्न्स में सरकार की कोई भूमिका नहीं है, बल्कि वह अपने नियम व कानून बनाने के लिए आज़ाद है.
केंद्रीय विद्यालयों की केवीएस बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने इस पर कहा था कि हमने अपने छात्रों के लिए एक नए ड्रेस कोड को इंट्रोड्यूस किया था ताकि एक अलग पहचान दी जा सके. 1963 के बाद पहली बार ड्रेस कोड में बदलाव किया गया है.
फिलहाल हाई कोर्ट में चल रही है सुनवाई
गौरतलब है कि हालिया दिनों कर्टनाट के स्कूल व कालेजों में हिजाब को लेकर विवाद चल रहा है और इस विवाद की सुनवाई हाई कोर्ट में चल रही है. मुस्लिम लड़कियों ने हाई कोर्ट से मांग की है कि उन्हें यूनिवर्सिटी कॉलेज हिजाब पहनने की इजाजत मांगी है. पिछले रोज जब हाई कोर्ट में इस मामले में सुनवाई चल रही थी, उस वक्त उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की मुस्लिम लड़कियों की तरफ से पेश वकील देवदत्त कामत ने पीठ से कहा, ''मैं न केवल सरकारी आदेश को चुनौती दे रहा हूं, बल्कि यूनिफॉर्म के रंग का हिजाब पहनने की अनुमति देने के सकारात्मक शासनादेश के लिए भी कर रहा हूं.''
कामत ने कहा था कि केंद्रीय विद्यालयों में मुस्लिम छात्राओं को स्कूल यूनिफॉर्म का हिजाब पहनने की अनुमति दी जाती है और ऐसा ही यहां भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हिजाब पहनना एक अनिवार्य धार्मिक प्रथा है और इसके इस्तेमाल पर रोक लगाना संविधान के अनुच्छेद 25 में प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है.
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