जमशेदपुर न्यूज़: केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड (सीयूजे) के राजभाषा प्रकोष्ठ द्वारा संसदीय राजभाषा समिति/प्रश्नावली विषय पर ऑनलाइन हिंदी कार्यशाला आयोजित की गई. मुख्य वक्ता आईआईटी खड़गपुर के वरिष्ठ हिंदी अधिकारी डॉ राजीव रावत थे.
रावत कहा कि किसी भी सरकारी कार्यालय के लिए संसदीय राजभाषा समिति/प्रश्नावली की गहन जानकारी होनी चाहिए. इसके अभाव में गलत रिपोर्ट भेजे जाने की अधिक संभावना रहती है. संसदीय राजभाषा समिति सीधे अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपती है. इस बात से हिंदी के प्रति सरकार की गंभीरता दिखती है.
रजिस्ट्रार प्रो कुंज बिहारी पांडा बोले, जो प्रयोग के स्तर पर सुलभता अंग्रेजी में है. वही सुलभता और लचीलापन हमें हिन्दी में भी लागू करना होगा, तभी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी का प्रचार व विकास संभव है. विवि के ओएसडी डॉ जेएन नायक ने कहा कि भारतीय संविधान में हिन्दी की स्थिति पर विस्तार से विचार किया गया है.
हमें विशेष रूप से हिन्दी के संदर्भ में संविधान के अनुच्छेद 343-351 को समझने की जरूरत है. हिन्दी अधिकारी डॉ उपेंद्र कुमार ने संसदीय राजभाषा समिति की स्थापना और उसकी कार्यशैली को बताया. कार्यशाला में विश्वविद्यालय के डिप्टी रजिस्ट्रार उज्ज्वल कुमार, शिक्षक व कर्मचारीगण उपस्थित थे. संचालन डॉ उपेंद्र कुमार ने किया.