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न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कभी मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज के रूप में देश ही नहीं पूरे एशिया में प्रसिद्ध हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड(एचईसी) आज पूरी तरह से खस्ताहाल स्थिति में बंद होने के कगार पर आ गया है. भीषण आर्थिक तंगी से गुजर रहे एचईसी के पास कार्यशील पूंजी है नहीं, जिससे समय पर वर्क आर्डर पूरा कर पाने में एचईसी सफल नहीं हो पा रहा है. ऐसा भी नहीं कि इसके पास वर्क आर्डर की कमी है, लेकिन वर्किंग कैपिटल के बिना काम ही नहीं कर पा रहा है. पूंजी के अभाव में न तो निगम कंपनी कच्चा माल मंगा पा रही है और न वर्क आर्डर समय पर पूरा कर पा रही है. स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है. कच्चा माल नहीं होने के कारण कारखाना के हेवी मशीन बिल्डिंग प्लांट (एचएमबीपी) के दो शॉप काम ठप हो गया है. यों कहें कि शॉप बंद हैं.
8 महीने से नहीं मिला वेतन
निगम के कामगारों को आठ महीने से तो अफसरों को लगभाग 10 महीने से वेतन का भुगतान नहीं हो सका है. बीच-बीच में कंपनी कामगारों को कभी 15 दिन तो कभी एक महीने का वेतन भुगतान कर फुसला रही है. बकाया वेतन के लिए कामगारों ने टूल डाउन स्ट्राइक भी की थी. कुछ वेतन मिला, लेकिन फिर वैसी ही स्थिति हो गयी है. बीते दिन एचईसी ने अपनी संपत्ति के मूल्यांकन के लिए टेंडर निकाला है. इसे लेकर कर्मचारियों में संशय की स्थिति है. कर्मचारियों का कहना है कि या तो एचईसी को बंद करने की तैयारी है या बेचने की. बता दें कि एचईसी ने टेंडर में कारखाना की सभी मशीनों, कार्यालय, प्लांट, अस्पताल, खाली पड़ी जमीन और आवासीय भवन सहित अन्य प्रशासनिक भवनों का मूल्यांकन करने की बात कही है.
एचईसी को केंद्र ने मदद देने से किया है इनकार
एचईसी के पुनरुद्दार के लिए प्रबंधन ने कई दफा भारी उद्योग मंत्रालय से पत्राचार किया. पैकेज की मांग की. वर्किंग कैपिटल के लिए बैंक गारंटी दिलाने तक की गुहार लगायी, लेकिन मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया केंद्र सरकार कारखाना को किसी तरह की मदद नहीं कर सकता है. कारखाना चलाने के लिए प्रबंधन को खुद अपने पैरों पर खड़ा होना होगा. हालांकि इसके बाद भी प्रबंघन ने केंद्र से मदद की आस नहीं छोड़ी है. सांसद संजय सेठ ने भी कारखाना को बंद होने से बचाने के लिए भारी उद्योग मंत्री से बात की, लेकिन कोई हल नहीं निकला. बल्कि कारखाना की आर्थिक हालत दिन प्रतिदिन और खराब होती जा रही है.
क्या कहते हैं एचईसी श्रमिक यूनियन के नेता
एचईसी के खस्ताहाल स्थिति पर श्रमिक यूनियन के नेताओं ने अपनी बात रखी.
मूल्यांकन के बाद एचईसी को बेचने की तैयारी: भवन सिंह
हटिया मजदूर संगठन के अध्यक्ष भवन सिंह ने बताया कि मूल्यांकन के बाद एचईसी को बेचने की तैयारी हैं. केंद्र सरकार कर्मचारियों के साथ नांइसाफी कर रही है. भीतर -भीतर कारखाना को बेचने की साजिश हो रही है. मजदूरों को आगे आकर आंदोलन करना होगा. दुर्गा पूजा के बाद हमारा संगठन कामगारों को साथ लेकर उग्र आंदोलन करेगा.
कारखाना को लेकर केंद्र की नीति स्पष्ट नहीं: ब्रजेश सिंह
एचईसी ऑफिसर्स एसोसिएशन के ब्रजेश सिंह ने कहा कि कंपनी की बहुत सारे भवन और भूखंड खाली पड़े हैं. मूल्यांकन से एचईसी का फायदा होगा. लेकिन एचईसी को लेकर केंद्र सरकार की नीति स्पष्ट नहीं हैं. केंद्र किसी तरह की मदद भी नहीं कर रहा है.ऐसे में एचईसी को बेचने या बंद करने की बात से पूरी तरह से इनकार भी नहीं किया जा सकता.
बदहाली के लिए प्रबंधन ही जिम्मेवार : रमाशंकर
भारतीय मजदूर संघ से जुड़े रमाशंकर ने बताया कि आज एचईसी की जो हालत, यह अचानक नहीं हुई है. बीते कई सालों से कार्यशील पूंजी की कमी के कारण समय पर कार्यादेश पूरा नहीं किया जा सका, जिससे ढेर सारा वर्क ऑर्डर हाथ से निकल गया. अब तो ऑर्डर भी मिलना बंद हो गया. इसके लिए प्रबंधन जिम्मेवार है. अब मूल्यांकन कराकर कारखाना बेचने कि तैयारी हो रही है.
सरकार कर्मचारियों के भविष्य के बारे में नहीं सोच रही : लीलाधर सिंह
हटिया प्रोजेक्ट यूनियन वर्कर्स यूनियन के लीलाधर सिंह ने बताया कि एचईसी की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब हो रही है. सरकार द्वारा बैंक गारंटी नहीं दी जा रही है. अब सरकार कारकाना का मूल्यांकन करा कर इसे बंद करने या बेचने पर विचार कर रही है. सरकार कर्मचारियों के भविष्य के बारे में नहीं सोच रही है. केंद्र सरकार की मंशा साफ नहीं है.
एचईसी में 1350 स्थायी अफसर-कर्मचारी, 1700 सप्लाई मजदूर
कंपनी में अभी 1350 स्थायी अफसर-कर्मचारी हैं. वहीं करीब 1700 सप्लाई मजदूर काम कर रहे हैं. हर माह वेतन मद में लगभग 7 करोड़ का खर्च है. कर्मियों को मिलने वाले भत्ते और अन्य मदों को मिला दें, तो कामगारों पर प्रतिमाह का खर्च लगभग 11.50 करोड़ का होता है. कर्मचारियों को छह महीने और अधिकारियों को 7 महीने से वेतन नहीं मिला है. सिर्फ वेतन मद का बकाया 45 करोड़ के आस-पास पहुंच गया है.
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