राँची न्यूज़: ग्रामीण कार्य विकास विभाग के अभियंता वीरेंद्र राम के ठिकानों पर ईडी की छापेमारी के बाद पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर सवाल उठाया है. कहा है कि एसीबी में वीरेंद्र राम के खिलाफ शिकायत होने और पीई दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. लेकिन राज्य सरकार ने यह अनुमति नहीं दी. आखिर राज्य सरकार ने क्यों कार्रवाई नहीं की.
बाबूलाल ने सवाल किया कि कौन लोग हैं, जो ऐसे भ्रष्ट इंजीनियरों का बचाव करते हैं. बाबूलाल मरांडी ने पत्र की प्रतिलिपी ईडी निदेशक को भी भेजी है. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि छापेमारी के बाद आरोपी मुख्य अभियंता एवं इनके परिवार के सभी आवासों पर नकद राशि सहित देशभर में 20-22 कोठी/आवास एवं भूखण्ड के होने के दस्तावेज मिले हैं. उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपये का सोना एवं हीरे की बरामदगी हुई है, वास्तव में देश भर में झारखंड की छवि खराब हुई है. यहां तक कि छापेमारी में इनके ठिकानों में कई लग्जरी गाड़ियां भी मिली है, जो वास्तव में अपने आप भ्रष्टाचार की कई कहानियां कहती है.
शिकायत पर अभियंता को घूस लेते पकड़ा गया था
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि रघुवर दास के काल में 13 नवंबर 2019 को एसीबी द्वारा एक संवेदक की शिकायत पर मुख्य अभियंता वीरेन्द्र राम के अधीनस्थ कनीय अभियंता सुरेश वर्मा को 10 हजार घूस लेते पकड़ा था. सर्च में आवास से 2.44 करोड़ रुपये बरामद किए गए. इस दौरान सुरेश वर्मा एवं इनकी पत्नी ने दावा किया था कि आवास से बरामद पैसे वीरेंद्र राम के हैं और यह पैसे उनके करीबी रिश्तेदार आलोक रंजन ने रखे थे.
पीई दर्ज करने की अनुशंसा राज्य सरकार को भेजी गई थी
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार में एसीबी ने मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने को लेकर पीई दर्ज करने की अनुशंसा राज्य सरकार को भेजी थी. लेकिन इजाजत नहीं मिल पाने की वजह से एसीबी पीई दर्ज नहीं कर पायी. ग्रामीण विकास विभाग में निविदा से ऊंची दर पर घूस लेकर मनचाहे ठेकेदारों को उपकृत करते रहे. इस तरह वीरेंद्र राम के द्वारा सरकार के संरक्षण में राज्य के राजस्व की भी लूट की गई और सरकार में शामिल लोग इन्हें सहयोग करते रहे. बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि गलत तरीके से वीरेंद्र राम की तैनाती ग्रामीण कार्य विभाग व ग्रामीण विकास विभाग विशेष प्रमंडल में की गई है.