निजी अस्पतालों से अति गंभीर मरीजों को रिम्स रेफर किया जा रहा
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जमशेदपुर: रिम्स में मरीजों की मौत का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। रिम्स में जनवरी-2023 से जुलाई-2023 तक अलग-अलग बीमारियों से ग्रस्त करीब 3500 मरीजों की मौत हो चुकी है। रिम्स के रेफरल पेशेंट रिकॉर्ड में दर्ज आंकड़े बताते हैं कि करीब 35% मौतें ऐसी हैं, जिसके लिए रिम्स या उसके चिकित्सक जिम्मेदार नहीं है। रिम्स के डॉक्टरों के अनुसार, प्राइवेट अस्पतालों से 15 से 20 दिन भर्ती रख रोगियों को इतनी बदतर स्थिति में रिम्स भेजा गया कि उनकी जान बचाना संभव नहीं था।
निजी अस्पताल से 7 महीने में 6851 मरीजों को स्थिति बिगड़ने पर रिम्स रेफर किया गया, जिनमें से 1285 मरीजों की मौत इलाज के दौरान हो गई। इनमें करीब 220 मरीजों की हालत इतनी ज्यादा बदतर थी कि अस्पताल पहुंचने के एक घंटे के भीतर उनकी मौत हो गई। वहीं, 490 रोगियों की मौत 24 घंटे में और शेष 575 मरीज की जान 72 घंटे या उसके बाद गई है।
जुलाई में 1139 मरीज रेफर होकर रिम्स पहुंचे, इनमें 185 की मौत: रिम्स प्रबंधन के अनुसार, सिर्फ जुलाई में ही 1139 मरीजों की स्थिति गंभीर होने पर रिम्स रेफर किया गया था। रिम्स प्रबंधन द्वारा दिए गए पूर्व अस्पताल विवरण के अनुसार, ये सभी रोगी औसत 15 दिन अलग-अलग निजी अस्पताल में इलाजरत थे। रिम्स में भर्ती करने के बाद इनमें से 185 मरीजों की माैत हो गई। इनमें 85 की मौत भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर हो गई, जबकि 27 की मौत 48 घंटे और 73 की मौत 72 घंटे के भीतर हुई।
23 दिन सैमफोर्ड में भर्ती रहे, किडनी फेल्योर के बाद रिम्स भेजा, 5 घंटे में मौत
अनगड़ा के मरीज राकेश को सैमफोर्ड अस्पताल में भर्ती किया गया। यहां करीब 23 दिन भर्ती रहने के बाद मरीज की स्थिति बिगड़ने लगी। अस्पताल वालों ने 11 लाख का बिल थमाकर मरीज को रिम्स ले जाने को कह दिया। रिम्स में भर्ती होने के 5 घंटे में उसकी मौत हो गई।