जनता से रिस्ता वेबडेसक | देखो बेटा हम पढ़ा-लिखा नहीं है, पर इतना जानते हैं की जो सही है उसके साथ खड़ा होने में कोई गलती है". संघर्ष की दास्ता सुनाने की सुनाने की शुरुआत छुटनी देवी यहीं से करती है. झारखंड के सरायकेला जिले की रहने वाली छुटनी देवी वह महिला है जिन्हें सामाजिक जीवन में बेहतर कार्य करने के लिए 9 नवंबर को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. अगर आप उनसे मिलेंगे उनके साहस और उनके विचार को सुनेंगे तो आप भी यह जरूर कहेंगे की वाकई छुटनी देवी इस सम्मान की हकदार है. 60 वर्ष की उम्र का पड़ाव पार करने के बाद भी आज बुराई और कुरीति से लड़ने का उनके अंदर वही जज्बा है. दिन भर पुलिस थाने का चक्कर लगाते बीतता है. क्योंकि उन्हें यह बर्दाश्त नहीं है की कोई किसी महिला को डायन कहें. उन्होंने खुद अपने माथे पर लगे इस कलंक को झेला है और अपनी मेहनत से इस कंलक को मिटा भी दिया है.
बचपन से हुई संघर्ष की शुरुआत
छुटनी देवी एक समृद्ध परिवार से ताल्लुक रखती हैं. मायके वाली काफी धनी थे. पर परिवार में रूढ़ीवाद हावी था. इसके कारण छुटनी देवी पढ़ाई नहीं कर पायी. 14 साल की उम्र में विवाह हो गया. ससुराल वाले भी काफी समृद्ध थे, शुरुआत में सब कुछ ठीक-ठाक रहा. ससुराल में काफी सम्मान मिला. सभी लोग मानते थे. पर पड़ोसियों को यह रास नहीं आया. उनके पति इकलौते बेटे थे. ससुर के भाईयों की नजर उनके दौलत पर थी. इसलिए उन्होंने छुटनी और उनके घरवालों को परेशान करना शुरू कर दिया. छुटनी बताती है कि उनके परिवार को परेशान करने के लिए उनके घर में चोरी भी की गयी.
डायन होने का लगा आरोप, आधी रात को छोड़ना पड़ा घर
इस उम्र में भी छुटनी देवी को अपने उपर हुए जुल्म की एक-एक तारीख याद है. उन्होंने बताया कि उनके ससुर के भाईयो का मन इतना बढ़ गया कि साल 1993 में उनके घर में आग लगा दी. हालांकि किस्मत अच्छी थी कि पूरे घर में आग नहीं फैली और किसी को चोट नहीं आयी. पर इसके बावजूद छुटनी ने हिम्मत नहीं हारी. इसके बाद उनलोगों ने छुटनी के उपर डायन होने का आरोप लगाया. स्थानीय ओझा को बुलाकर सबके सामने छुटनी को डायन करार दे दिया गया. उस वक्त छुटनी देवी के तीन बेटे और एक बेटी थी. फिर छुटनी को आस-पास के लोगों ने बताया कि उनके परिवार को लोग उनकी हत्या करना चाहते है. हत्या करके लाश को खरकई नदीं में फेंक देना चाहते हैं. इसके बाद तीन सितंबर को छुटनी पर जानलेवा हमला किया गया. उस चोट के निशान आज भी उनके चेहरे पर है. इसके बाद पांच सितंबर आधी रात को छुटनी देवी अपने दो बेटे और एक बेटी को लेकर घर से बाहर निकल गयी. एक बेटा और पति वहीं रह गये क्योंकि घर और जमीन थी. छुटनी से जब पूछा गया कि क्या आपको बचाने के लिए गांव को कई भी व्यक्ति नहीं आया. उन्होंने स्पष्ट कहा की डायन को बचाने कौन आयेगा.
1996 के बाद पति ने भी छोड़ दिया साथ
घर छोड़ने के बाद छुटनी देवी अपने मां के पास चली गयी. पति ने कुछ दिन साथ दिया फिर 1996 में उन्होंने भी साथ छोड़ दिया. पति के चचेरे भाईयो ने पूरी संपत्ति हड़प ली. इससे पहले 1995 में भी उनकी माता का निधन हो गया. इस दौरान कुछ लोगों ने उनका साथ दिया. जमशेदपुर स्थित फ्री लीगल एड संस्था में में छुटनी आने-जाने लगी. इसके बाद छुटनी देवी खुलकर डायन प्रथा का विरोध करने लगी और उससे पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया.
145 महिलाओं का रेस्क्यु कर चुकी है छुटनी
छुटनी बताती है कि एनजीओ से जुड़ने के बाद भी उनका जीवन संघर्षों पर रहा. क्योंकि उस वक्त उन्हें एनजीओ की तरफ से महीने के सिर्फ 600 रुपए मिलते थे. इतने पैसों में घर का खर्च और बच्चों की पढ़ाई कराना मुश्किल था. खर्च चलाने के लिए वो जंगल में जाकर लकड़ी काटती थी और उसे बेचकर किसी तरह अपना गुजारा करती थी. इसके अलावा उनकी बड़ी बहन उनकी मदद करती थी. उनकी मेहनत रंग लायी. आज सरायकेला स्थित बीरबांस में उनका एक ऑफिस हैं जहां पर डायन के आरोप से पीड़ित महिलाएं आती हैं. छुटनी देवी वहां पर महिलाओं को परामर्श देती है. उनके पास कई ऐसी महिलाएं आती है जिन्हें ग्रामीणों द्वारा डायन बताकर बाल काट दिया जाता है. उनके उपर मानसिक और शारीरिक अत्याचार किया जाता है.
बेटी की शादी में हुई परेशानी
लंबे संघर्ष के बाद आज छुटना महतो का भरा-पूरा परिवार है. पोते-पोतियां हैं, नाती है. जो अच्छी पढ़ाई कर रहे हैं. बड़ा बेटा एक स्थानीय कंपनी में सूपरवाइजर है. मंझला बेटा पारा टीचर है. छोटे बेटे की पढ़ाई पूरी हो चुकी है. बेटी की शादी को लेकर छुटनी बताती है कि उनके उपर डायन का आरोप होने के कारण बेटी के ससुरालवाले शादी से मना कर रहे थे पर उनके दामाद ने उनका साथ दिया और उनके बेटी की शादी हो गयी. 15 साल पहले लोग विरोध करते थे.
किसी की मां-बेटी को डायन कहना पाप हैः छुटनी देवी
छुटनी देवी आज भी बिना डरे अपना काम करती है. वह बताती है कि जिनके लिए वो काम करती है उनके लिए वो अच्छी है पर जिनके खिलाफ वो काम करती हैं उनके लिए वो दुश्मन है. उन्होंने कहा कि किसी की मां बेटी को डायन नहीं कहना चाहिए. यह पाप है क्योंकि हमारे देश में जिस नारी की पूजा रकी जाती है उसी नारी को डायन कहकर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है. यह गलत है. छुटनी बताती है कि उन सरकार और प्रशासन को उन तमाम महिलाओं की मदद के लिए आगे आना चाहिए जिन्हें डायन बोलकर प्रताड़ित किया जाता है.