डाकघरों में तीन साल से टोकन सिस्टम बंद रहने से परेशानी, जनसुविधाओं की जमीनी हकीकत
राँची न्यूज़: डाक विभाग की ओर से आम लोगों की सुविधा के लिए डाकघरों में टोकन सिस्टम की शुरुआत की गई थी. लेकिन, पिछले तीन साल से क्यू मैनेजमेंट सिस्टम ठप है. डोरंडा स्थित मुख्य डाकघर और रांची जीपीओ में साल 2019 में जोर-शोर से इसकी शुरुआत की गई. इसके लिए यहां अतिरिक्त कुर्सियां लगाई गईं, एलईडी स्क्रीन लगाए गए. पर छह माह में ही डाक विभाग की नई व्यवस्था फेल हो गई. इसके बाद दोबारा डाक विभाग के अधिकारियों ने इसे शुरू करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया.
आलम यह है कि अब भी डाकघरों में हर दिन सैंकड़ों लोग पार्सल बुकिंग, मनी ऑर्डर, स्पीड पोस्ट, पोस्टल आर्डर, अपने डाक खाता को अपडेट करने समेत अन्य कामों के लिए यहां पहुंचते हैं. इस दौरान कई बार काउंटरों पर लंबी कतार भी लग जाती है. जिसके कारण लोगों को आधे-आधे घंटे तक खड़ा रहना पड़ता है.
डिजिटल डिवाइस की हुई थी व्यवस्था डाक विभाग ने क्यू मैनेजमेंट सिस्टम इसलिए शुरू किया था, ताकि डाकघर में काम से आए लोगों को अनावश्यक खड़ा न रहना पड़े. इस व्यवस्था के तहत डाकघरों में एक डिजिटल डिवाइस लगाया गया था. जिसमें हर प्रकार की सेवा के लिए एक टोकन दिया जाता था. वहीं, डाक विभाग के अधिकारियों ने तर्क दिया कि लोग इसका पालन नहीं कर रहे हैं. इसलिए दोबारा मैन्यूअल व्यवस्था लागू करनी पड़ी.
यहां शुरू की गई थी क्यू मैनेजमेंट व्यवस्था
साल 2019 में राज्य के 13 मुख्य डाकघरों में डिजिटल क्यू मैनजमेंट सिस्टम लागू की गई थी. उस वक्त तत्कालीन झारखंड परिमंडल की मुख्य डाक अध्यक्ष शशि शालिनी कुजूर ने मुख्य डाकघरों में यह व्यवस्था शुरू की थी. रांची जीपीओ, प्रधान डाकघर डोरंडा के अलावा गिरिडीह, गुमला, हजारीबाग, डालटेनगंज, चाईबासा समेत अन्य डाकघरों में व्यवस्था लागू की गई थी. इसके तहत डाकघरों में लोग आसानी से कुर्सियों पर बैठ कर अपनी बारी का इंतजार करते.
क्या है क्यू मैनेजमेंट सिस्टम
नई व्यवस्था के तहत डाकघर के मेन गेट पर एक डिजिटल डिवाइस लगाया गया था. जिसमें डाकघर में दी जाने वाली सेवाओं का जिक्र था. लोग जिस काम के लिए डाकघर आए हैं, उस सेवा पर अंगुली रखते ही नंबर लिखा टोकन लोगों को मिलता था. इसके बाद व्यक्ति को टोकन नंबर पर लिखे क्रम संख्या में ही काउंटर पर जाना पड़ता था. इसके लिए डाकघर में डिस्प्ले बोर्ड और अतिरिक्त कुर्सियां भी लगाई गई थीं. लेकिन बाद में कुर्सियों को हटा लिया गया.