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सरकारी स्कूलों के सिलेबस में पहली बार जनजातीय भाषा
Ranchi: झारखंड का जनजातीय समाज आज भी विकास से दूर है. जनजातीय समाज में शिक्षा का स्तर काफी निम्न है. इसे दूर करके ही जनजातीय समाज का विकास किया जा सकता है. इसके लिए जनजातीय छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा देकर विकास का अलख जगाना जरूरी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर जनजातीय शिक्षा की दिशा में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग विभाग, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा कई कल्याणकारी योजनाएं चलायी जा रही हैं. इसमें सबसे प्रमुख जनजातीय बच्चों को उनकी ही मातृभाषा में शिक्षा देने की पहल शामिल हैं. राज्य सरकार के एक अहम फैसले के बाद पहली बार झारखंड के सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से पांचवीं तक के पाठ्यक्रम (सिलेबस) में जनजातीय भाषाओं को शामिल किया गया है.
मरांग गोमके छात्रवृत्ति योजना से विदेशों में पा रहे शिक्षा
जनजातीय समाज के बच्चे विभिन्न कारणों से उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. इसके लिए सरकार ने मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृति योजना का शुभारंभ किया है. योजना के तहत अनूसूचित जनजाति सहित अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के 25 प्रतिभाशाली बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड नॉर्थन आयरलैंड के चयनित संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा हेतु शत प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है. वर्तमान में अनुसूचित जनजाति के 7 छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
143 आवासीय विद्यालयों के छात्रावासों में खाद्यान्न की आपूर्ति, 328 छात्रावासों का हो रहा संचालन
वर्तमान में कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति के छात्र-छात्राओं के लिए कुल 143 आवासीय विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है. इन छात्रावासों के खाद्यान्न की आपूर्ति सरकार द्वारा की जा रही है. वहीं, अनुसूचित जनजाति एवं अनूसूचित जाति के करीब 328 छात्रावासों का संचालन हो रहा है. आदिम जनजाति (पीवीटीजी) से आने वाले बच्चों के लिए आवासीय प्राथमिक विद्यालयों का संचालन हो रहा है.
जल्द होगी छात्रावासों में रसोइया और चौकीदार की नियुक्ति
सरकार द्वारा आदिवासी छात्रवासों का जीर्णोद्धार एवं निर्माण कार्य की गति दी जा रही है. सरकार के निर्देश पर छात्रावास में रसोईया और चौकीदार की नियुक्ति जल्द की जाएगी. इसकी प्रक्रिया जारी है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में 19 एवं 2021-22 में 32 छात्रावासों का जीर्णोद्धार किया गया. आदिवासी बच्चों को प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति 2021-22 के तहत कुल 20,232,20 छात्र छात्राओं को छात्रवृत्ति दी गई.
Rani Sahu
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