झारखंड

गांव में ही संभव होगा बीमार पशुओं का इलाज, 108 के तर्ज पर मोबाइल वेटनरी यूनिट

Admin4
24 July 2022 2:16 PM GMT
गांव में ही संभव होगा बीमार पशुओं का इलाज, 108 के तर्ज पर मोबाइल वेटनरी यूनिट
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रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा कृषि के साथ साथ पशुपालन कर किसानों की आय बढ़ाने की बात करते हैं. ऐसे में किसान आर्थिक रूप से संपन्न हों इसके लिए जरूरी है कि किसानों-पशुपालकों का पशुधन स्वस्थ रहे. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए झारखंड सरकार का पशुपालन विभाग जल्द भारत सरकार के सहयोग से 108 के तर्ज पर मोबाइल वेटेनरी यूनिट को लॉन्च करने जा रहा है ताकि बीमार पशुओं के इलाज के लिए पशुपालकों को प्रखंड से लेकर जिला के अस्पताल तक की दौड़ नहीं लगाना पड़े.

क्या कहते हैं चिकित्सक: पशु चिकित्सक और पशुपालन निदेशालय में पदस्थापित डॉ सैमसन संजय टोप्पो कहते हैं कि मोबाइल वेटनरी यूनिट को लॉन्च करने के पीछे लक्ष्य यही है कि राज्य के पशुपालकों को अपने बीमार पशुधन के इलाज के लिए भटकना न पड़े या फिर झोलाछाप पशु चिकित्सकों के चक्कर मे पड़कर जेब खाली करने की नौबत नहीं आए. डॉ सैमसन संजय कहते हैं कि बीमार पड़ने की स्थिति में पशुधन को अस्पताल ले जाना भी काफी दूभर होता है. ऐसे में गुणवत्तापूर्ण इलाज पशुपालकों के दरवाजे पर मिले इसके लिए मोबाइल वेटनरी यूनिट (MVU-Mobile Veterinary Unit) वैन की परिकल्पना की गई है.

हाइड्रोलिक स्ट्रेचर समेत कई सुविधाओं से लैस होगा MVU: डॉ सैमसन कहते हैं कि पहले चरण में पशुपालन निदेशालय द्वारा 3 मोबाइल वेटनरी यूनिट वैन से इस योजना की शुरुआत होगी और बाद में 250 मोबाइल वेटेनरी यूनिट के माध्यम से पंचायत स्तर तक वेटनरी हेल्थ की सुविधा पहुंचे यह सुनिश्चित की जाएगी. हर मोबाइल वेटनरी यूनिट में एक-एक पशु चिकित्सक के साथ-साथ सहयोगी स्टाफ, दवा और पैथोलॉजिकल जांच की सुविधा होगी. उन्होंने कहा कि जिन पशुओं का इलाज MVU में संभव नहीं हो सकेगा, उन्हें पास के बड़े पशु अस्पताल में इसी MVU से भेज दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अभी प्रक्रिया प्रारंभिक दौर में है. इसे कैसे कॉल सेंटर से जोड़ा जाएगा, इन सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है ताकि इसका अधिक से अधिक लाभ पशुपालकों को मिल सके.

राज्य में 483 लाख पशुधन-कुक्कुट पालकों को होगा फायदा: 2017 की पशुगणना के अनुसार राज्य में 111.88 लाख कैटल हैं, जिसमें 13.5 लाख भैंस, 6.41 लाख भेड़, 91.21 लाख बकरी और 12.76 लाख सुअर हैं. इसके अलावा 230.32 लाख कुक्कुट और 16.93 लाख बत्तख हैं. हालांकि, मोबाइल वेटेनरी यूनिट मूल रूप से पशुओं जिसमें गौ वंशीय पशुओं, भैंस, बकरी, भेड़, घोड़ा, गधा, सुअर का इलाज करने पर लक्षित होगा लेकिन, जब इस यूनिट के साथ वेटेनरी के डॉक्टर उपलब्ध होंगे तो दूरस्थ क्षेत्र के गांव के रहने वाले कुक्कुट पालकों, बत्तख पालकों को भी विशेषज्ञ डॉक्टर के सलाह उनके दरवाजे पर ही मिल जाया करेगी.

क्या कहते हैं कृषि एवं पशुपालन मंत्री: राज्य में जल्द पशुओं के लिए मोबाइल मेडिकल यूनिट वैन शुरू करने के सवाल पर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि सीएम मुखिया हेमंत सोरेन और वह स्वयं पशु पक्षी प्रेमी हैं, इसलिए उन्होंने पशुओं के हित में कई काम किया है. उसी क्रम में अब पशुओं के लिए एंबुलेंस और मेडिकल यूनिट शुरू करने जा रहे हैं ताकि राज्य के पशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके और पशुपालकों का भी आर्थिक नुकसान न हो.

राज्य में वेटनरी डॉक्टरों की घोर कमी: एक ओर सरकार पशुधन विकास के लिए केंद्र के सहयोग से राज्य में मोबाइल वेटनरी यूनिट शुरू करने जा रही है तो वहीं दूसरी ओर सच्चाई यह भी है कि राज्य में पशु चिकित्सकों की घोर कमी है. सृजित वेटनरी डॉक्टरों के 798 पदों में से 310 पद खाली हैं और एक-एक पशु चिकित्सकों को कई प्रभार देकर किसी तरह 488 व्यवस्था को चलाया जा रहा है. ऐसे में मोबाइल वेटनरी यूनिट के लिए चिकित्सक और अन्य स्टाफ की व्यवस्था कैसे होगी यह एक बड़ा सवाल है.

राज्य में 378 प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय: राज्य में वर्तमान समय में 378 प्रथम श्रेणी पशु अस्पताल, हर जिला मुख्यालय में एक-एक प्रांतीकृत पशु अस्पताल, दुमका में पशु रेफरल अस्पलात और 08 जिलों में पेट क्लिनिक (PET CLINIC) चल रहे हैं लेकिन, राज्य में पशु चिकित्सक की संख्या बेहद कम है. जिससे गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा राज्य के पशुओं को नहीं मिल पाता है.

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