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पुलिस बल की कमी से जूझ रहा यातायात थाना
Giridih: जिले में यातायात थाना खुले हुए छह साल से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन इसका मकसद सिर्फ एक ही रह गया है वो जुर्माना वसूलने का. लिहाजा, यातायात थाना अब शहर के ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने में कम और जर्मुाना वसूली पर अधिक ध्यान देती है. और इसका सीधा असर शहर के ट्रैफिक व्यवस्था पर पड़ रहा है. वैसे गिरिडीह के इस इकलौते ट्रैफिक थाना को भी यहां पूरी तरह से गलत कहना सही नहीं होगा. क्योंकि राज्य सरकार द्वारा नियमों को तोड़ने वाले चालकों के बहाने भारी-भरकम जुर्माना वसूली का निर्देश हर माह 20 से 25 लाख तक का दिया जा रहा है. ट्रैफिक थाना पुलिस यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के बजाय सारा दिन जुर्माना वसूलने में लगी रहती है.
तो बिगड़ते हालात का दूसरा कारण यह भी है कि राज्य सरकार ने यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ट्रैफिक थाना तो खोला. लेकिन प्रशिक्षित पुलिस पदाधिकारी, हवलदार और कांस्टेबल देना भूल गई. जिसे हर रोज शहर में अनावश्यक जाम लगी रहती है. फिलहाल गिरिडीह के इस ट्रैफिक थाना में 21 सहायक पुलिस कर्मी तो एक सार्जेन्ट, एक एसआई कृष्णकांत प्रतिनियुक्ती पर हैं.
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जबकि शहर के कई चौराहों पर ट्रैफिक पोस्ट बने हुए हैं. और इसी कारण शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है. वैसे मामले में जब ट्रैफिक थाना प्रभारी प्रेम रंजन उरांव से जानकारी ली गई, तो उनका स्पस्ट कहना था कि अब तक प्रशिक्षित हवलदार, कांस्टेबल और पदाधिकारी के लिए राज्य पुलिस मुख्यालय को कोई पत्राचार नहीं किया गया है.
जबकि वह भी चाहते है कि यातायात थाना को हर स्तर के कर्मी प्रशिक्षित मिले. क्योंकि पूरे शहर के ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए 10 प्रशिक्षित हवलदार के साथ 15 कांस्टेबल और छह एएसआई स्तर के पदाधिकारियों की जरुरत है.
सोर्स - Newswing
Rani Sahu
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