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पैसेंजर्स को आरामदायक सफर कराने के उद्देश्य से रेलवे ने शताब्दी और जन शताब्दी जैसी ट्रेनें चलाई है
Ranchi : पैसेंजर्स को आरामदायक सफर कराने के उद्देश्य से रेलवे ने शताब्दी और जन शताब्दी जैसी ट्रेनें चलाई है. जिसमें आराम से पैसेंजर सफर कर सके. वहीं इसके लिए नियम भी सख्त है. लेकिन पटना से रांची के बीच चलने वाली जन शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन को लोकल पैसेंजर ट्रेन बनाकर छोड़ दिया है. इतना ही नहीं दो राज्यों की राजधानी को जोड़ने वाली इस ट्रेन में लोकल वेंडर्स ने कब्जा जमा रखा है. जिससे कि सफर कर रहे पैसेंजर्स को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. वहीं सफर पूरा होने तक टॉर्चर झेलने के आलावा कोई चारा नहीं होता.
टीटीई भी नहीं करते कार्रवाई
ट्रेनों में पैसेंजर्स की टिकट चेकिंग की जिम्मेवारी ऑन बोर्ड टीटीई की होती है. वहीं बिना टिकट सफर करने वालों पर फाइन करने का सख्त नियम है. इसके बावजूद ट्रेन में पैसेंजर्स बिना किसी रोक टोक चढ़ जाते है. इसके बाद टीटीई की मिलीभगत से वे आराम से सफर करते है. जिससे कि रिजर्वेशन कराने वाले पैसेंजर्स को परेशानी होती है. इसके अलावा ट्रेन में केवल ऑथोराइज्ड वेंडर्स ही खाने पीने के सामान की बिक्री कर सकते है. फिर भी लोकल वेंडर्स पर टीटीई कोई कार्रवाई नहीं करते. बताते चलें कि जन शताब्दी एक्सप्रेस में सीटिंग कैपेसिटी से अधिक पैसेंजर्स सफर नहीं कर सकते है.
रैग पिकर्स करते है परेशान
ट्रेन के सोर्स और रिटर्न स्टेशन पर कोच की सफाई और मेंटेनेंस किए जाते है. जिससे कि पैसेंजर्स के आसपास हाइजेनिक माहौल रहे. इसके बावजूद ट्रेन में रैग पिकर्स (कचरा चुनने वाले) चढ़ जाते है. इनकी वजह से भी पैसेंजर्स को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. वहीं कई बार तो ये लोग सफाई के नाम पर पैसेंजर्स का सामान भी उड़ा लेते है. इसके बावजूद इन लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं होती.
अधिकारी करते है फेंका फेंकी
ट्रेन दो डिवीजन से होकर गुजरती है. जिसमें एक डिवीजन ईस्ट सेंट्ल रेल डिवीजन और दूसरा साउथ इस्टर्न रेल डिवीजन है. लेकिन कोई भी शिकायत करने पर अधिकारी मामले को एक-दूसरे डिवीजन पर थोंपने का काम करते है. इस चक्कर में ट्रेन में सफर के दौरान कोई कार्रवाई नहीं हो पाती. जबतक पूरी जानकारी पैसेंजर उपलब्ध कराता है तो ट्रेन अपने डेस्टिनेशन पर पहुंच चुकी होती है.
News Wing

Rani Sahu
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