राँची न्यूज़: बिरसा कृषि विवि (बीएयू) में झारखंड राज्य की कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में बजटीय प्राथमिकता विषय पर राज्यस्तरीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसे बीएयू राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के सहयोग से सेंटर फॉर बजट एंड गवर्नेंस एकाउंटेबिलिटी (बीजीए), नई दिल्ली और जीवन शिक्षा और विकास सहायता संस्था (लीड्स) की ओर से आयोजित किया गया.
मुख्य अतिथि डीन फॉरेस्ट्री डॉ एमएस मल्लिक ने कृषि क्षेत्र में बजट का सही समय पर उचित क्रियान्वयन को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने प्रदेश में पर्यावरण के अनुकूल कृषि, प्राकृतिक खेती व एकीकृत कृषि प्रणाली को प्राथमिकता देने की बात कही. इन्हें कृषि जोखिम को कम करने व किसानों की आय को स्थिर करने के लिए महत्वपूर्ण बताया. विशिष्ट अतिथि राय विवि के डीन एग्रीकल्चर डॉ आरपी सिंह रतन ने झारखंड में सब्जी उत्पादन, पशुधन, वनोपज संग्रह, बकरीपालन और सुकरपालन को किसानों की आय का महत्वपूर्ण स्रोत बताया.
कार्यक्रम में प्रोग्राम मैनेजर, लाइफ एजुकेशन एंड डेवलपमेंट सपोर्ट्स (लीड्स), रांची एन रथ, सीओ, रांची रेशु भारद्वाज, एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक डॉ बीके झा, महर्षि महे कल्याण परिषद, रांची के सचिव, सचिदानंद ने भी विचार साझा किए.
झारखंड कृषि बजट पर 5 फीसदी खर्च करता है
वरिष्ठ नीति विश्लेषक, सेंटर फॉर बजट एंड गवर्नेंस एकाउंटेबिलिटी, नई दिल्ली गुरप्रीत सिंह ने कृषि बजट के अंतर पर बात की. कहा कि झारखंड कृषि बजट पर करीब 5 फीसदी खर्च करता है. कृषि योजनओं में खर्च कम हो रहा है. आरकेवीआई व एनएफएस एम जैसी योजनओं के तहत निधियों का कम उपयोग चिंता का विषय है.