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Chakulia : विलुप्त होती आदिम जनजाति सबरों के उत्थान के लिए पूर्वी सिंहभूम जिला की उपायुक्त विजया जाधव का प्रयास भी पदाधिकारियों की लापरवाही से विफल साबित हो रही है. सबर जनजाति के लिए जनता दरबार आयोजित किये जा रहे हैं. परंतु सबरों को न्याय नहीं मिल रहा है. इसका उदाहरण चाकुलिया प्रखंड अंतर्गत सरडीहा पंचायत के रूपुषकुंडी गांव की 72 वर्षीय विधवा मुगली सबर है. इस सबर विधवा को आज तक पेंशन नहीं मिलती है. जबकि इस वृद्धा ने पेंशन के लिए जनता दरबार से लेकर पदाधिकारियों तक के दरवाजे खटखटाये और 10 बार आवेदन दिया. परंतु कोई सुनवाई नहीं हुई. इस हालत में वह निराश और हताश है. आखिर गुजारा कैसे हो? वृद्धा ने कहा कि अब उसने पेंशन की उम्मीद छोड़ दी है.
10 बार दिया पेंशन के लिए आवेदन
विगत दिनों पूर्व दक्षिण शोल में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत जनता दरबार लगाया गया था. इस दरबार में भी मुगली सबर ने पेंशन के लिए आवेदन पत्र जमा किया था. परंतु अभी तक कोई पहल नहीं हुई है और वह पेंशन की आस लगाए बैठी है. मुगली सबर को तीन पुत्र हैं. तीनों उससे अलग-अलग रहते हैं. इस हालात में मुगली सबर के लिए गुजारा करना मुश्किल हो गया है. इस मसले पर पंचायत सचिव धरणीधर महतो ने कहा कि मुगली सबर ने पेंशन के लिए 8 से 10 बार आवेदन दिया है. परंतु जाति प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण उसकी पेंशन स्वीकृत नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि इस मसले पर पदाधिकारियों से बात हो रही है ताकि मुगली सबर की पेंशन स्वीकृत हो सके.
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