जमशेदपुर न्यूज़: दो सरकारी आवासीय स्कूलों में इस बार भी पढ़ाई शुरू नहीं होना, आरक्षित वर्ग के बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए छलावा साबित हुआ. बहरागोड़ा एकलव्य बालिका विद्यालय और बोड़ाम आश्रम विद्यालय इस बार भी शुरू नहीं हो सका. दोनों में नामांकन के लिए प्रमंडल स्तर पर परीक्षा ली गई.
विद्यार्थी उत्तीर्ण भी हुए, परंतु अपने पुराने विद्यालय में ही पढ़ते रहना उनकी मजबूरी है. कारण इस बार भी इस विद्यालय के संचालन के लिए किसी एनजीओ का चयन नहीं हो सका. ऐसा लगातार दूसरे साल हुआ है. करीब 15 करोड़ की लागत से तीन साल से अधिक समय से बनकर तैयार बहरागोड़ा एकलव्य बालिका में 170 छात्राओं के रहने और पढ़ने की व्यवस्था की गई है. करोड़ों रुपए के फर्नीचर भी इसमें रखे हुए हैं. और उनकी सुरक्षा के लिए तीन होमगार्ड जवानों को तैनात किया गया है. इस प्रकार यह स्कूल एक अनुपयोगी ढांचा बनकर रह गया है.इसके संचालन की जवाबदेही राज्य सरकार पर है, जो एक एनजीओ का चयन ही नहीं कर पा रही है. हालांकि इस स्कूल में एक कमी भी है. छात्राओं का आवासीय विद्यालय होने के बावजूद इसकी चारदीवारी नहीं है. दूसरी ओर, बोड़ाम के आश्रम विद्यालय के भी इस बार खुलने की संभावना थी, जिस पर पानी फिर गया है. 120 बेड के लड़कों के इस आवासीय विद्यालय के साथ भी वही कहानी रही, जो बहरागोड़ा एकलव्य विद्यालय की हुई. करीब 17 करोड़ की लागत से तैयार इस स्कूल में भी फर्नीचर आ चुका है. परंतु एनजीओ का चयन नहीं किया जा सका.
एनजीओ का चयन नहीं हो सका है. इसके कारण दोनों स्कूलों में नामांकन नहीं हो पाएगा.
-राजेश कुमार पांडेय, जिला कल्याण पदाधिकारी