झारखंड

हेमंत सोरेन लीज आवंटन और शेल कंपनियों में निवेश मामले में 30 जून की होगी विस्तृत सुनवाई

Renuka Sahu
24 Jun 2022 1:40 AM GMT
There will be a detailed hearing on June 30 in Hemant Soren lease allocation and investment in shell companies
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फाइल फोटो 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लीज आवंटन और उनके करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश संबंधी मामलों की गुरुवार को झारखंड हाइकोर्ट में वर्चुअल सुनवाई हुई।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लीज आवंटन और उनके करीबियों के शेल कंपनियों में निवेश संबंधी मामलों की गुरुवार को झारखंड हाइकोर्ट में वर्चुअल सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री की ओर से 11 जुलाई तक सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया गया, जिसे अदालत ने नामंजूर करते हुए कहा कि जब तक इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से स्टे (स्थगन आदेश) नहीं आ जाता है, तब तक सुनवाई जारी रहेगी।

मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में हुई। अदालत ने शिव शंकर शर्मा की ओर से दायर दोनों याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए 30 जून की तिथि तय की है। साथ ही याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि सभी पक्षों को इस मामले में दायर शपथ पत्र की कॉपी सर्व की जाए। सीएम की ओर से पक्ष रखते हुए सुप्रीम कोर्ट की वरीय अधिवक्ता मिनाक्षी अरोड़ा ने बताया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गयी है।
यही नहीं शेल कंपनियों के मामले में उन्हें याचिका और शपथ पत्र की कॉपी नहीं मिली है, इसलिए वह जवाब नहीं दे पाएंगी। नैसर्गिक न्याय और न्याय के हित के लिए यह जरूरी है कि उन्हें याचिका और शपथ पत्र की प्रति उपलब्ध कराई जाए, ताकि वह भी अपना पक्ष कोर्ट में रख सकें, इसलिए इस मामले की सुनवाई 11 जुलाई तक स्थगित की जाए। इस पर अदालत ने कहा कि शेल कंपनियों के मामले में सीएम की ओर से कोर्ट में पक्ष रखा गया था और उस दौरान यह नहीं बताया गया कि उन्हें याचिका की कॉपी नहीं मिली है। आज इस मामले में यह कहना कि उन्हें याचिका की कॉपी नहीं मिली है, यह फेयर प्रैक्टिस नहीं है।
सीएम के करीबी होंगे प्रभावित, इन्हें भी पक्ष रखने का मिले मौका
सरकार का पक्ष रख रहे वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि शेल कंपनियों के मामले में सीएम के भाई, पत्नी और कई करीबियों को आरोपी बनाया गया है। हमें मेंटेनबिलिटी या मेरिट पर दलील पेश करने से पहले इनको भी पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए। क्योंकि अदालत के अंतिम फैसले से सभी प्रभावित होंगे। इस पर ईडी की ओर से पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसवी राजू ने कहा कि आरोपी का सुनने का अधिकार ट्रायल में होता है, अभी उनको सुनने का कोई औचित्य नहीं है।
सुनवाई में बाधा पहुंचा रही सरकार: हाईकोर्ट
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि कभी राज्य सरकार उनके आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करती है, तो कभी इस मामले में प्रतिवादी (हेमंत सोरेन) की ओर से एसएलपी दाखिल की जाती है। अदालत इस मामले की सुनवाई मार्च से कर रही है, लेकिन किसी न किसी बहाने समय की मांग की जाती है। यह बेहत दुखद है। अब याचिका की प्रति मांगी जा रही है।
इस पर प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि सोरेन परिवार के कितने लोगों को खनन पट्टा आवंटित किया गया है, अदालत ने इसकी जानकारी मांगी थी, लेकिन अभी तक सरकार ने जवाब नहीं दिया। लेकिन समय देने का आग्रह जरूर किया है। इस दौरान ईडी की ओर से कहा गया कि सरकार के आग्रह को नहीं मानना चाहिए। यह सुनवाई को बाधित करने की रणनीति है। अब याचिका की प्रति मांगी जा रही है। यह योजना के तहत किया जा रहा है, ताकि सुनवाई टाली जाए।
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