झारखंड

एड्स की राजधानी कहे जाने वाले विष्णुगढ़ में मरीजों की संख्या में आयी कमी

Shantanu Roy
1 Dec 2021 6:57 AM GMT
एड्स की राजधानी कहे जाने वाले विष्णुगढ़ में मरीजों की संख्या में आयी कमी
x
विश्व एड्स दिवस पहली बार 1 दिसंबर 1988 को मनाया गया था. इसे मनाने का उद्देश्य एचआईवी या एड्स से ग्रसित लोगों की मदद करना और एड्स से जुड़े मिथ को दूर करते हुए लोगों को जागरूक करना है.

जनता से रिश्ता। विश्व एड्स दिवस पहली बार 1 दिसंबर 1988 को मनाया गया था. इसे मनाने का उद्देश्य एचआईवी या एड्स से ग्रसित लोगों की मदद करना और एड्स से जुड़े मिथ को दूर करते हुए लोगों को जागरूक करना है. हजारीबाग का विष्णुगढ़ को पूरे झारखंड में एड्स की राजधानी के रूप में जाना जाता था. लेकिन अब यह सुखद खबर है कि यहां संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी हो रही है. पहले जहां प्रत्येक महीने संक्रमित मरीजों की संख्या 50 के आसपास हुआ करती थी. वह अब घटकर प्रतिवर्ष 25 से 30 के बीच पहुंच गई है.

झारखंड राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक एचआईवी संक्रमित मरीज राज्य में हजारीबाग से मिले हैं. वहीं दूसरा स्थान रांची का है. झारखंड राज्‍य एड्स कंट्रोल सोसाइटी यानी जेसैक की रिपोर्ट के मुताबिक 2002 से लेकर 2019 तक किए गए सर्वे में पता चला है कि राज्‍य में 23270 लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सर्वाधिक 5259 मरीज हजारीबाग जिले में पाए गए हैं. वहीं राजधानी रांची एचआईवी पॉजिटिव मरीजों के माले में दूसरे नंबर पर है. हालांकि खुशी की बात ये है कि संक्रमित मरीजों की संख्या अब कम होने लगी है.
हजारीबाग में संक्रमित मरीजों की संख्या की जो रफ्तार थी उसमें कमी देखने को मिल रही है. खासकर विष्णुगढ़ जिसकी पहचान एड्स की राजधानी के रूप में थी. जहां प्रत्येक महीने 2 दर्जन से अधिक संक्रमित मरीज मिलते थे. वहां अब साल में 16 से 17 संक्रमित मरीज पिछले 2 सालों से मिल रहे हैं. ऐसे में यह आंकड़ा अब राहत देने वाला है. विष्णुगढ़ स्वास्थ्य केंद्र में सेवा देने वाली महिला स्वास्थ्यकर्मी वेरोनिका तिर्की बताती हैं कि लोगों में जागरूकता आई है. इसके कारण ग्राफ में गिरावट हो रही है.
एक लैब टेक्नीशियन के भरोसे विष्णुगढ़
विष्णुगढ़ में महज एक लैब टेक्नीशियन के जरिए ही पूरे क्षेत्र पर नजर रखा जा रहा है. लैब टेक्नीशियन ही संक्रमित मरीजों काउंसलिंग करती हैं. उनका कहना है कि पिछले 10 साल से अकेले ही पूरा काम संभाल रही हूं. ऐसे में जो मेरा काम है वह प्रभावित हो जाता है. अगर काउंसलिंग करने वाले कर्मियों की संख्या अधिक होती तो मरीजों को अधिक से अधिक लाभ मिलता.


Next Story