झारखंड

बढ़ता जा रहा चांडिल डैम का जलस्तर, कम नहीं हुई विस्थापिताें की मुसीबत, स्थिति का जायजा लेने देर रात पहुंची विधायक

Renuka Sahu
17 Aug 2022 4:46 AM GMT
The water level of Chandil Dam is increasing, the trouble of the displaced people has not decreased, the MLA arrived late at night to take stock of the situation
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फाइल फोटो 

धानी रांची क्षेत्र में हो रही बारिश के कारण चांडिल डैम के डुब क्षेत्र में रहने वाले विस्थापिताें की मुसीबत बढ़ती जा रही है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजधानी रांची क्षेत्र में हो रही बारिश के कारण चांडिल डैम के डुब क्षेत्र में रहने वाले विस्थापिताें की मुसीबत बढ़ती जा रही है. चांडिल डैम का जलस्तर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. बुधवार सुबह डैम का जलस्तर 181.60 मीटर दर्ज किया गया है. सुवर्णरेखा व करकरी नदी से अधिक पानी आने के कारण चांडिल डैम का जलस्तर बढ़ रहा है. वहीं, बुधवार की सुबह चांडिल डैम के तीन रेडियल गेट को एक-एक मीटर तक खोला गया है. जलस्तर बढ़ने से डुब क्षेत्र के गांवों तक डैम का पानी पहुंचने की संभावना बढ़ती जा रही है. ऐसे में लोगों के बीच दहशत व्याप्त है.

जरूरत पड़ने पर खोले जाएंगे और भी गेट : सविता महतो
मंगलवार की देर रात चांडिल डैम का जलस्तर 181.55 मीटर तक पहुंच गया था. जलस्तर बढ़ने की सूचना मिलते ही विधायक सविता महतो चांडिल डैम पहुंची और स्थिति का जायजा लिया. देर रात डैम स्थित कंट्रोल रूम पहुंची विधायक ने जलस्तर कम करने के लिए तीन रेडियल गेट खुलवाया. विधायक ने कहा कि वर्तमान में जलस्तर की वृद्धि को देखते हुए एक रेडियल गेट को एक मीटर और दो रेडियल गेट को आधा-आधा मीटर खोला गया है. उन्होंने बताया कि सरायकेला के उपायुक्त से दूरभाष पर बात हुई है. जरूरत पड़ने पर और भी गेट खोले जाएंगे, ताकि विस्थापित क्षेत्र में किसी के घर पानी नहीं घुसे.
दहशत में डुब क्षेत्र के विस्थापित
वहीं, चांडिल डैम का जलस्तर लगातार बढ़ते रहने से डुब क्षेत्र में रहने वाले विस्थापितों में दहशत का माहौल है. हर वर्ष बरसात के दौरान डुब क्षेत्र के गांवों में डैम का पानी घुस जाता है. डुब क्षेत्र के गांव बरसात में जलमग्न रहते हैं, जिससे हर वर्ष कई मकान गिर जाते हैं. ऐसे में विस्थापितों को परेशानी का सामना करने के साथ उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ता है. बताया जा रहा है कि विस्थापितों को पूर्ण मुआवजा और पुनर्वास की समुचित सुविधा नहीं मिलने के कारण वे अपने गांव में ही जमे हुए हैं. विस्थापिताें का कहना है कि सरकार उन्हें संपूर्ण मुआवजा व समुचित पुनर्वास की सुविधा दे और गांव को जलमग्न करें.
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