झारखंड
किरीबुरु में थोलकोबाद के ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल तक नसीब नहीं
Tara Tandi
18 May 2024 7:11 AM GMT
![किरीबुरु में थोलकोबाद के ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल तक नसीब नहीं किरीबुरु में थोलकोबाद के ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल तक नसीब नहीं](https://jantaserishta.com/h-upload/2024/05/18/3734370-untitled-1-copy.webp)
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Kiriburu : सारंडा का ऐतिहासिक थोलकोबाद गांव ब्रिटिश सरकार के समय से चर्चित व आकर्षण का केन्द्र रहा है. लेकिन आज इस गांव के ग्रामीण शुद्ध पेयजल समेत तमाम बुनियादी सुविधाओं के लिये तरस रहे हैं. इस गांव के ग्रामीणों को जनप्रतिनिधि, शासन-प्रशासन पांच वर्षों में सिर्फ एक बार लोकसभा, विधानसभा एवं पंचायत चुनाव के दौरान सिर्फ वोट डालने हेतु पूछता है. उसके बाद इनकी सुधी लेने कोई भी नहीं जाता है.
थोलकोबाद निवासी गुमिदा होनहागा ने बताया की क्या थोलकोबाद के हम ग्रामीणों की जिंदगी चुनाव के दौरान सिर्फ अपना-अपना एक वोट देने तक सीमित रह गई है. आज हमारे गांव में पेयजल की कोई सुविधा नहीं है. थोलकोबाद एवं दिवेन्द्री गांव के प्रायः ग्रामीण गांव के समीप प्राकृतिक नाला का पानी पेयजल व अन्य कार्य हेतु लेने को विवस हैं. गांव में जलमीनार नहीं है. चापाकल सारे खराब पडे़ हुये हैं. चिकित्सा, संचार, यातायात आदि की कोई सुविधा नहीं है. रोजगार हेतु ग्रामीण युवक निरंतर पलायन कर रहे हैं. हमारा जीवन नारकीय बन गया है. सिर्फ जंगल हीं एक सहारा है.
उल्लेखनीय है कि आजादी से पूर्व अंग्रेजों ने थोलकोबाद को अपना शरणस्थली व मौज-मस्ती का स्थान बनाया था. यहाँ तब एक ऐतिहासिक गेस्टहाउस बनाया गया था, जहाँ अंग्रेज रहकर नाच-गान व मस्ती करते थे. गेस्ट हाउस में तब सारी सुविधाएं उपलब्ध थी. कमरों में पारम्परिक पंखा लगा था जिसे रसी के सहारे बाहर बैठकर मजदूर हिलाता था तो पूरा कमरा में हवा फैल जाती है. आजादी के बाद भी इस गेस्ट हाउस में ठहरने के लिये मंत्री, पुलिस-प्रशासन के अधिकारी से लेकर खास लोग जाते थे, शिकार भी करते थे एवं जंगल की कीमती पेडो़ं को कटवा ले जाते थे. सरकार व वन विभाग थोलकोबाद व सारंडा को पर्यटन स्थल घोषित करने की तैयारी कर ली थी. वर्ष 2001 के दौरान जब नक्सली आये तो यह क्षेत्र विरान हो गया. नक्सलियों ने इस ऐतिहासिक गेस्ट हाऊस को विस्फोट कर उड़ा दिया. नक्सलियों का प्रभाव खत्म होने के बाद वन विभाग ने यहाँ नया गेस्टहाऊस बनाया.
लेकिन आज तक थोलकोबाद गांव की तस्वीर नहीं बदली. बल्कि पहले से यहाँ की खूबसूरती और खराब हो गई. आज गांव में किसी भी प्रकार की कोई बुनियादी सुविधाएं नहीं है. नक्सली जब थे तो वह लेवी का कुछ पैसा खर्च कर गुंडीजोडा़ स्थित वन विभाग द्वारा बनाया गया चेकडैम के बगल से ग्रामीणों की मदद से एक कच्ची नहर अथवा नाला निकाल थोलकोबाद के खेतों तक पानी पहुंचाये थे. जिससे ग्रामीण खेती कर कुछ फसल उगाते थे. लेकिन आज सब कुछ खत्म हो गया है. सरकार की उपेक्षा से ग्रामीण परेशान व निराश हैं.
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