झारखंड

चांडिल के शिवालय की बात ही निराली है, 31 किलो चांदी से बने है नर्देश्वर महादेव, दूर-दराज से आते हैं जलार्पण करने भक्त

Renuka Sahu
8 Aug 2022 3:34 AM GMT
The talk of Chandils pagoda is unique, Nardeshwar Mahadev is made of 31 kg silver, devotees come from far and wide to offer water.
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फाइल फोटो 

चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के शिवालयों की बात ही निराली है. यहां कहीं चार मुंह वाले शिवजी, कहीं गुफा के अंदर विराजमान तो कहीं चांदी से बने शिवलिंग सभी भक्तों के लिए दर्शनीय व पूजनीय हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के शिवालयों की बात ही निराली है. यहां कहीं चार मुंह वाले शिवजी, कहीं गुफा के अंदर विराजमान तो कहीं चांदी से बने शिवलिंग सभी भक्तों के लिए दर्शनीय व पूजनीय हैं. क्षेत्र के अंतिम छोर पर फदलोगोड़ा में टाटा-रांची एनएच-33 के किनारे वनदेवी काली मंदिर परिसर में स्थित है नर्देश्वर महादेव मंदिर. जहां पूरे सावन माह में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. सावन की सोमवारी पर अपने आराध्य देव के दर्शन-पूजन के लिए भक्तों का रेला लगा रहता है. साथ ही चांदी के शिवलिंग पर जलार्पण करने के लिए यहां दूर-दराज से भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है. सावन के अलावा महाशिवरात्रि पर भी यहां भक्तों का रेला लगा रहता है. सावन माह की हर सोमवारी पर यहां भगवान भोलेनाथ का रूद्राभिषेक किया जाता है.

ऐसी है मंदिर की मान्यता
फदलोगोड़ा स्थित प्राचीनकालीन वनदेवी काली मंदिर परिसर में स्थित नर्देश्वर महादेव मंदिर का निर्माण साल 1995 में कराया गया है. मंदिर में 31 किलो चांदी से शिवलिंग और अरघा बनाया गया है. इस मंदिर में श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है. जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत विद्यानंद सरस्वती बताते हैं कि नर्देश्वर महादेव मंदिर में चांदी जड़े शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. मंदिर में पूजन की शुरुआत महादेव के अभिषेक से होती है. अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है. इसके बाद बेलपत्र, दूब, कुश, कमल, नीलकमल आदि समेत कई अन्य प्रकार के वस्तुओं से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है. इसके साथ ही भोग के रूप में धतूरा, भांग और श्रीफल चढ़ाया जाता है. यहां रूद्राभिषेक महायज्ञ के साथ महाआरती का आयोजन किया जाता है.
ऐसे पहुंचे मंदिर
नर्देश्वर महादेव मंदिर फदलोगोड़ा स्थित प्राचीनकालीन वनदेवी काली मंदिर परिसर में है. मंदिर टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग-33 पर स्थित है. नर्देश्वर मंदिर पारडीह से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर है. चांडिल गोलचक्कर से मंदिर की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है. टाटा-रांची और टाटा-पुरुलिया, धनबाद के बीच चलने वाले यात्री वाहनों से भी मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है. वहीं, पटमदा होकर भी पक्की सड़क मंदिर के सामने ही टाटा-रांची राष्ट्रीय राजमार्ग-33 पर मिलती है. उक्त सड़क से होकर भी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है.
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