झारखंड
झारखंड में कोरोना टीकाकरण की रफ्तार धीमी, सरकार ने उठाया ये कदम
Renuka Sahu
23 Jan 2022 3:59 AM GMT
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फाइल फोटो
झारखंड में टीकाकरण की रफ्तार काफी धीमी है। वैसे दावा तो रोज 3.5 लाख टीकाकरण का दावा तो करती है, लेकिन कभी कभार ही यह आंकड़ा दो लाख के पार हो पाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड में टीकाकरण की रफ्तार काफी धीमी है। वैसे दावा तो रोज 3.5 लाख टीकाकरण का दावा तो करती है, लेकिन कभी कभार ही यह आंकड़ा दो लाख के पार हो पाता है। स्थिति यह है कि टीकाकरण शुरू हुए करीब एक साल से ज्यादा हो गए, लेकिन 45 वर्ष से अधिक आयु के 18.88 लोगों को अभी तक पहली डोज भी नहीं लगी है। वहीं 38.86 लाख को दूसरी डोज नहीं लगी है। इसमें पहली डोज से वंचित 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों की संख्या 7.70 लाख है। 15.44 लाख बुजुर्गों को दूसरी डोज नहीं लग पायी है।
आश्चर्य की बात यह है कि सूबे में 4296 स्वास्थ्य कर्मी और फ्रंटलाइन वर्करों ने भी पहली डोज नहीं ली है। दूसरी डोज से वंचित स्वास्थ्य कर्मी व फ्रंटलाइन वर्करों की संख्या 62447 है। जबकि इनके लिए सबसे पहले टीकाकरण शुरू किया गया था।
पड़ोसी राज्यों का हाल
राज्य डोज (करोड़ में)
उत्तर प्रदेश 24.72
प. बंगाल 11.79
बिहार 10.95
उड़ीसा 5.55
झारखंड 3.36
छत्तीसगढ़ 3.2 (सभी आंकड़े करोड़ में)
टीकाकरण को रफ्तार देने के लिए सरकार प्रयासरत
राज्य सरकार व स्वास्थ्य महकमा टीकाकरण अभियान को गति देने के लिए लगातार प्रयासरत है। राज्य में 15 जनवरी तक शत प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित करते हुए जिला से लेकर प्रखंड तक में कोविड टास्क फोर्स बनाया गया था। संबंधित जिलों के डीसी इसके अध्यक्ष बनाए गए थे। छह प्रशासनिक अधिकारियों को चार-चार जिलों की जिम्मेवारी दी गयी थी। इसका परिणाम यह रहा कि महाअभियान से पहले जहां 18 प्लस की आबादी में पहली डोज का प्रतिशत 72 व दूसरी डोज का प्रतिशत 39 था, वह अभियान समाप्ति के दिन 15 जनवरी को क्रमश: 81 और 50 पहुंच गया। स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों की मानें तो राज्य में टीकाकरण की धीमी रफ्तार का कारण आम लोगों का कम जगरुक होना है। जनता को जागरुक कर यदि बुजुर्गों व बीमार लोगों के लिए यदि घर के पास टीकाकरण की व्यस्था हो इसकी रफ्तार तेज हो सकती है।
झारखंड 16 वें स्थान पर
सुस्त रफ्तार की वजह से झारखंड न सिर्फ पड़ोसी राज्यों (छत्तीसगढ़ को छोड़कर) से पीछे है, बल्कि देश में 16 वें स्थान पर है। यूपी जहां सबसे ऊपर है, वहीं, बंगाल तीसरे, बिहार चौथे और उड़ीसा 10वें स्थान पर है। छत्तीसगढ़ 17वें स्थान पर है। राज्य के पास शुक्रवार तक कुल 31,05,290 डोज टीका उपलब्ध है। जिसमें कोविशील्ड की 19,51,630 और कोवैक्सीन की 1153660 डोज शामिल हैं।
कोरोना पाबंदियों ने रोकी कारोबार की रफ्तार
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की रफ्तार को कम करने के लिए राज्य में लागू पाबंदियों का असर व्यापार पर पड़ रहा है। राजधानी के कारोबारियों का कहना है कि अभी लगन का समय चल रहा है ऐसे में इस समय अच्छा व्यापार होता। लेकिन शादियों में सीमित लोगों की मौजूदगी के नियमों का असर कारोबार पर पड़ा है।
शनिवार को हिन्दुस्तान ने पाबंदियों के कारण व्यापार पर पड़ रहे असर को लेकर जब विभिन्न सेक्टरों कपड़ा, इलेक्ट्रोनिक, फुटवियर व ज्वेलरी के कारोबारियों से बातचीत की तो पाया कि सोना-चांदी को छोड़कर इलेक्ट्रोनिक, कपड़ा-फुटवियर सभी सेक्टरों पर पाबंदियों का असर है। हालांकि इस दौरान राजधानी के व्यवसायियों ने यह भी कहा कि जनवरी के पहले सप्ताह में प्रभाव अधिक था। कोरोना के मामलों में अचानक वृद्धि के बाद खरीदारी के लिए पहुंचने वाले लोगों की संख्या कम हुई थी। हालांकि बाद में लोग धीरे-धीरे बाहर निकलने लगे।
दुकानदारों ने कहा: कोरोना में बढ़ी ऑनलाइन खरीदारी, बिक्री पर हुआ काफी असर। राजधानी के दुकानदारों के मुताबिक कोविड के कारण कपड़ा, फुटवियर व इलेक्ट्रोनिक आइट्मस की खरीदारी के लिए अधिकतर लोग ऑनलाइन शॉपिंग को तवज्जो दे रहे हैं। इसका असर बिक्री पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि दुकानों में आने वाले ग्राहकों की संख्या भी कम हुई है। हालांकि दुकानदारों ने यह भी कहा कि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो पहले ऑनलाइन खरीदारी को तवज्जो दे रहे थे, लेकिन अब फिर से फिजिकल शॉपिंग कर रहे हैं।
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