राज्य के विकास के लिए दी जमीन, खुद हो गए उपेक्षित, जानिए विस्थापितों का दर्द
न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शहर और राज्य का विकास हो, लोगों को रोजगार मिले और आर्थिक स्थिति सुधरे, यह सोचकर बोकारो स्टील प्लांट निर्माण के लिए लोगों ने अपनी जमीन दी. बोकारो स्टील प्लांट तो स्थापित हो गया. पूरे देश में यहां के उत्पाद की सप्लाई होने लगी, कंपनी के साथ-साथ सरकार को भी फायदा हुआ, मगर प्लांट के लिए अपनी जमीन देने वाले ही उपेक्षित हैं. उतरी विस्थापित क्षेत्र के सैकड़ों परिवार अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. लगभग 20 गांव के ग्रामीण आज तक ना तो पंचायत में शामिल हो पाए और ना ही निगम क्षेत्र में. जिसके कारण न केवल इनकी समस्याएं यथावत रह गई, बल्कि इन्हें पंचायती राज में शामिल होने का अधिकार भी आज तक नहीं मिला. बोकारो में अबतक तीन बार पंचायत चुनाव संपन्न हुआ. मगर यहां के लोग न तो चुनाव लड़ सकें और ना ही वोट दे सकें. सबसे मजेदार बात यह है कि यह लोग विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भाग लेते हैं, लेकिन पंचायत और निगम चुनाव में भाग नहीं ले पाते हैं. बता दें कि राजस्व गांव के 44 टोला की आबादी लगभग एक लाख है. आज तक गांव के ग्रामीणों को राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा संचालित विकास योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया.