खूंटी: भगवान बिरसा मुंडा (birsa munda) के जिले की जनता भगवान भरोसे जीने को मजबूर हैं. आज भी दूर दराज इलाकों के ग्रामीणों को अस्पताल ले जाने के लिए चार कंधों की जरूरत पड़ती है. वो भी बारिश में भीग कर बनई नदी (banai river) पार कर अस्पताल जाना पड़ता है.
खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड अंतर्गत फटका पंचायत में फटका-फडिंगा गांव के लोगों के लिए आज भी नदी की मूल धारा ही फोरलेन और सिक्स लेन हाईवे है. यहां की जिंदगी दौड़ती नहीं बल्कि नदी की धारा पर तैरती है. अगर कोई बीमार पड़ जाए तो अस्पताल जाने के लिए एंबुलेंस के सायरन की आवाज नहीं बल्कि बच-बच कर चलिए यही आवाज आती है. बारिश के मौसम में मेघ की गर्जना भी इस आवाज को और बुलंद करती है. जिंदगी चाहे जिस दुश्वारी में हो अस्पताल और इलाज चाहे जितना जरूरी हो, लेकिन जिंदगी बचाने के लिए लोगों को नदी में घुसकर जिंदगी दांव पर लगानी पड़ती है. यह किसी एक गांव की कहानी नहीं बल्कि बनई नदी (banai rive) के आसपास के दर्जनों गांव की कहानी है.जिस तरीके से लोग नदी को पार कर रहे हैं यह जिंदगी जीने की जिजीविषा को दर्शाता है. परेशानी चाहे जितनी बड़ी हो लेकिन जिंदगी का दर्द आसान करने के लिए लोग मौत से भी लड़ाई लड़ने लगते हैं. कंधे पर बैठाकर कर चार लोग जिन्हें अस्पताल ले जाते हैं उन्हें इलाज की जरूरत होती है, लेकिन यह बीमार व्यवस्था का ही आलम है कि इलाज के लिए भी इन सभी लोगों को घंटों नदी में चलना होता है. उसके बाद कच्ची सड़क से गुजरना होता है, तब कहीं जाकर सरकारी व्यवस्था वाला अस्पताल इन्हें मिल पाती है. वहीं, इलाज कितना होगा वह सरकारी नुमाइंदे ही जाने. ऐसा नहीं की इस बात की जानकारी सरकार के आला हाकिम हुक्कामों को नहीं है, लेकिन सरकारी ठसक का आलम यह है कि लोगों के दर्द से सरकारी अमला मुंह मोड़े बैठा हुआ है.गांव के लोगों का कहना है कि हम लोगों ने बनई नदी (banai river) पर पुल बनाने के लिए राज्यपाल मुख्यमंत्री ग्रामीण विकास मंत्री सभी को पत्र दिया है, लेकिन अभी तक इस पर कोई काम नहीं हुआ. झाविमो के पूर्व जिला अध्यक्ष दिलीप कुमार मिश्रा ने डीसी के नाम एक ज्ञापन दिया है. कहा है कि बनई नदी पर पुल की मांग पिछले कई वर्षों से ग्रामीणों की रही है. लोगों ने इस बार राज्यपाल, मुख्यमंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री को पत्र के माध्यम से पुल निर्माण की मांग की है. अगर जल्द ही इसपर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलता है तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे.