झारखंड

आदिवासी जमीन पर कब्जे की जांच एक साल में भी नहीं हुई

Admin Delhi 1
9 May 2023 8:19 AM GMT
आदिवासी जमीन पर कब्जे की जांच एक साल में भी नहीं हुई
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राँची न्यूज़: रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन जमीन की हेराफेरी के आरोप में जेल जा चुके हैं. जेल में बंद पूर्व खान सचिव पूजा सिंघल के पल्स हॉस्पिटल की जमीन भी आदिवासी भूईहरी होने की बातें सामने आई हैं. बावजूद इसके रांची जिला प्रशासन आदिवासी जमीन की हेराफेरी रोकने को लेकर गंभीर नहीं है. आश्चर्य की बात यह है कि आदिवासी जमीन के मामले में रांची जिला प्रशासन मुख्यमंत्री और भू राजस्व विभाग के निर्देशों की भी अनसुनी कर रहा है.

. खबरों में खुलासा किया गया था कि रांची में किस प्रकार आदिवासी जमीन की हेराफेरी की गई है. मुख्यमंत्री ने खबर पर लिया था. जिसके बाद 09 मई 2022 को मुख्यमंत्री सचिवालय ने राजस्व, निबंधन एवं भू सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर रांची शहरी क्षेत्र में आदिवासी जमीन को लेकर कुछ जानकारियां मांगी थीं. पर साल भर बाद भी इससे संबंधित जानकारी नहीं दी गई है.

विभाग ने रांची डीसी से दो दिन में मांगी थी रिपोर्ट

मुख्यमंत्री के निर्देश पर राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के उप सचिव विजय कुमार टोप्पो ने 18 मई 2022 को रांची के उपायुक्त को पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने रांची शहरी क्षेत्र के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति की भूमि का अवैध हस्तानांतरण कर कब्जा करने से संबंधित प्रतिवेदन दो दिनों के अंदर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. विभागीय आदेश जारी हुए एक साल होने को है. भू राजस्व विभाग के अनुसर अभी तक आदिवासी जमीन को लेकर मांगा गया प्रतिवेदन नहीं मिल सका है. वहीं, रांची के अपर समाहर्ता राजेश कुमार बरवार कहते हैं, उन्हें अभी इसकी पूरी जानकारी नहीं है, फाइल देखने के बाद ही इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी जा सकती है.

कचहरी में हर दिन बनाए जाते हैं सैकड़ों सादे पट्टे

एक तरफ जिला प्रशासन जहां आदिवासियों की जमीन को लेकर निश्चिंत है वहीं, समाहरणालय के बगल में स्थित कचहरी में आदिवासियों की जमीन की हेराफेरी को लेकर हर दिन सैकड़ों सादे पट्टे बनाए जाते हैं. इसी सादे पट्टे के आधार पर आदिवासियों की जमीन पर कब्जा जमाए गैर आदिवासियों को बिजली-पानी का कनेक्शन सरकार दे रही है. वहीं, सीएनटी एक्ट के तहत उपायुक्त को यह अधिकार है कि वह आदिवासियों की जमीन के अवैध हस्तानांतरण के मामले में स्वत संज्ञान लेकर कार्रवाई कर सकते हैं. बावजूद इसके बड़े पैमाने पर आदिवासियों की जमीन की हेराफेरी की जा रही है.

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