झारखंड

द एलीफेंट व्हिस्परर ने झारखंड में हाथियों से अटूट संबंध को चर्चा में लाया

Admin Delhi 1
16 March 2023 9:30 AM GMT
द एलीफेंट व्हिस्परर ने झारखंड में हाथियों से अटूट संबंध को चर्चा में लाया
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राँची न्यूज़: अकेले छोड़ दिए हाथी और उसकी देखभाल करने वालों के बीच अटूट बंधन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री ‘द एलीफेंट व्हिस्परर’ ने ऑस्कर जीत लिया. झारखंड में बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष के बीच आदिवासियों और हाथी के बीच रोमांचित करने वाले प्रेम-सम्मान के भी कई उदाहरण हैं. खूंटी के रनिया और तोरपा प्रखंड के कई गांवों में रहने वाले आदिवासी हाथियों से फसलों को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति सरकार ने नहीं मांगते. जबकि सरकार इसकी भरपाई करने की योजनाएं चलाती है. एक अनुमान के मुताबिक झारखंड में करीब 580 से 600 स्थानीय हाथी हैं.

हाथी भगवान हैं, भगवान का ही दिया सब कुछ है झारखंड में खनन का बढ़ता दायरा, जंगलों में मनुष्य की बढ़ती दखलअंदाजी के कारण मानव-हाथी संघर्ष में हर साल काफी संख्या में लोगों की जान जा रही है, लेकिन इन सब के बीच हाथियों से अटूट बंधन भी देखने को मिलता है. खूंटी के गांव लोहाजीमी के कई आदिवासी परिवार हाथियों से फसलों को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति नहीं मांगते. वन विभाग के अधिकारी जब उनसे पूछते हैं कि वह सरकार की योजना का लाभ क्यों नहीं ले रहे तब उनकी ओर से कहा जाता है कि हाथी भगवान हैं, भगवान का ही दिया सब कुछ है. उनसे नुकसान कैसे हो सकता है. इन तथ्यों को खुद सहायक वन संरक्षक अर्जुन बड़ाईक ने उजागर किया है. उन्होंने कहा बहुत मान मनुहार करने के बाद ही ऐसे परिवार के सदस्य क्षतिपूर्ति लेने के लिए आगे आते हैं.

इधर, मानव और हाथी के बीच संघर्ष में हो रहा इजाफा

दूसरी ओर बड़ी हकीकत भी सामने है. खनन का बढ़ता दायरा, जंगल में इनसानी दखल के कारण मानव-हाथी संघर्षों में लगातार इजाफा हो रहा है. केंद्र सरकार की ओर से एक आरटीआई के जवाब में जानकारी दी गई है कि झारखंड में हाथी-मानव संघर्ष में पिछले पांच वर्षों के दौरान 462 लोगों की मौत हुई है. पड़ोसी राज्य ओड़िशा में 499, जबकि असम में 385 और पश्चिम बंगाल में 358 मौत इस दौरान हुई है.

फसल पहले हाथी खा ले तो अगली पैदावार अच्छी

वन्यजीव विशेषज्ञ डीएस श्रीवास्तव के मुताबिक हाथी से आदिवासियों के प्रेम की गाथाएं बहुत सारे गांवों में कही और सुनी जाती हैं. कुछ गांवों में ऐसी परंपरा भी देखी जा रही है जहां धान की फसल को हाथियों के खाने के बाद ही काटा जाता है. ऐसे लोगों के बीच मान्यता है कि फसल को पहले हाथी खा ले तो अगली बार पैदावार अच्छी होती है.

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