झारखंड

गर्मी में पानी की जरूरत पूरा नहीं कर पाएगा निगम, फरवरी में ही डीप बोरिंग-कुआं सूखने लगे

Admin Delhi 1
23 Feb 2023 7:29 AM GMT
गर्मी में पानी की जरूरत पूरा नहीं कर पाएगा निगम, फरवरी में ही डीप बोरिंग-कुआं सूखने लगे
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राँची न्यूज़: सूरज की तपिश बढ़ने के साथ ही राजधानी में आने वाले दिन में पेयजल को लेकर परेशानी बढ़ने वाली है. मार्च महीने में आमजन की इस मसले को लेकर परेशानी और बढ़ जाएगी. भूगर्भ जल के अत्यधिक दोहन की वजह से शहर के ड्राई जोन में गरमी शुरू होते ही जलस्तर नीचे चले जाने की वजह से डीप बोरिंग और कुआं के सूखने का कम आरंभ हो जाएगा. इससे निपटने के लिए निगम के पास 45 टैंकर हैं. इनमें से भी अधिसंख्य खास्ता हाल में और जर्जर हैं, जिससे पानी की जरूरत को पूरा करना संभव नहीं है.

नगर निगम के पास पानी की किल्लत को दूर करने के लिए 45 टैंकर हैं. शहरी इलाके में जलापूर्ति के लिए निगम के दो हजार लीटर क्षमता वाले 30 टैंकर हैं. वहीं पांच और छह हजार लीटर वाले पांच, डोरंडा में दस टैंकर हैं. इनमें से कई वर्षों पुराने हैं. कई टैंकरों में दर्जनों छेद हैं. कई के स्टील की चादर रखरखाव के अभाव में जंग लगने से खराब हो गई है. पानी भरने के बाद ऐसे टैंकरों में छेद से लगातार पानी निकलता रहता है. टैंकरों में बकरी बाजार में स्टोर में लगे डीप बोरिंग, हरमू पुल के समीप के स्टोर, करम चौक, डोरंडा और धुर्वा के डीप बोरिंग से पानी मिलता है.

शहर में हजारों निजी बोरिंग हो जाते हैं फेल

शहर में 50 हजार से अधिक बोरिंग कराए गए हैं. विभिन्न इलाकों में बने अपार्टमेंटों और घरों में बोरिंग से ही पानी मिलता है. कई इलाकों में अपार्टमेंट की बोरिंग गरमी बढ़ने के साथ फेल हो जाएंगे. इससेे फ्लैटों में रहने वाले लोग दैनिक उपयोग के लिए पानी खरीद कर लाने की मजबूरी हो जाती है.

15 वार्ड हैं ड्राई जोन में, जहां मार्च से ही टैंकर से शुरू होती है सप्लाई

रांची नगर निगम के 15 वार्ड ड्राई जोन में हैं. ऐसे इलाके में हार्ड रॉक होने की वजह से गरमी के दस्तक देते ही जलस्तर तेजी से नीचे चला जाता है और मार्च माह आरंभ होते ही टैंकरों से जलापूर्ति की स्थिति बन जाती है. ऐसे हालात मानसून आरंभ होने तक जून माह के अंतिम सप्ताह और इससे अधिक समय तक भी बने रहते हैं. निगम के वार्ड संख्या 22,23, 24, 25, 26, 27, 28, 34 के अलावा डोरंडा एवं एचइसी इलाके समेत कुल 15 वार्ड क्षेत्र में गरमी आरंभ होते ही टैंकरों से पानी भेजने की स्थिति बन जाती है. मानसून सीजन को छोड़ अन्य दिनों में वार्ड संख्या 22, 23, 24, 25 और 26 में टैंकरों से पानी की आपूर्ति की स्थिति बनती रहती है.

कुछ इलाकों में पीने के पानी के लिए तरसते हैं लोग

शहर के विभिन्न इलाकों में अभी भी लोग पेयजल के लिए तरसते हैं. वह इस मामले में अभी भी चापानल या फिर कुंआ पर आश्रित हैं. सबसे ज्यादा खराब स्थिति स्लम एरिया में रहने वाले लोगों की है. इसमें नयी कॉलोनी, बस्तियां और मुहल्ले भी शामिल हैं. ऐसे इलाके में जलस्तर फरवरी माह के दूसरे पखवाड़े में ही 30 से 40 फीट नीचे चला गया है. जिस कारण चापानल और डीप बोरिंग से कम मात्रा में पानी मिल रहा है.

कई इलाकों में नहीं बिछी है मिसिंग पाइपलाइन

निगम क्षेत्र में कई इलाके में अभी तक मिसिंग पाइप लाइन नहीं बिछी है. जिस इलाके में बिछी है, वहां अभी तक पाइप लाइन से जलापूर्ति शुरू नहीं हुई है. लोग जरूरत भर पानी के लिए एचवाईडीटी, मिनी एचवाईडीटी पर निर्भर हैं. जिस नीचले इलाके में पाइप लाइन बिछे हुए हैं, वहां लो प्रेशर के कारण टैंकरों से जलापूर्ति की मांग की जाती है. ऐसे इलाके में लोगों को नल से कभी भी जरूरत भर पानी नहीं मिल पाता है.

ऐसे में गरमी में लोगों के लिए टैंकर ही सहारा होते हैं.

शहर में भूगर्भ जल के नीचे चले जाने के कारण सैकड़ों बोरिंग नाकाम हो गए हैं. सतह की नमी समाप्त हो गयी है. जल वाष्प की स्थिति नहीं होने से आने वाले माह में गरमी भी बढ़ेगी. भूगर्भ जल स्त्रत्तेत के नीचे जाने का सबसे ज्यादा असर कांके रोड, एचइसी एवं शहर के पश्चिमी इलाके में पड़ रहा है.-नीतीश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद

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