झारखंड

मुख्यमंत्री बोले देश के सभी राज्यों के आदिवासी एक हों लड़ाई हमारे अस्तित्व की

SANTOSI TANDI
9 Aug 2023 9:49 AM GMT
मुख्यमंत्री बोले देश के सभी राज्यों के आदिवासी एक हों लड़ाई हमारे अस्तित्व की
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हमारे अस्तित्व की
झारखंड आदिवासी महोत्सव -2023 का आज आगाज हो गया। आदिवासी दिवस पर देश के कई राज्यों से लोग शामिल होने पहुंचे हैं। कार्यक्रम की शुरुआत से पहले मणिपुर हिंसा में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि दी गयी, एक मिनट का मौन रखा गया। इसके बाद दीप प्रज्वलन करके कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। कार्यक्रम में एक साथ 35 पुस्तकों का प्रकाशन एक साथ किया गया जिसमें कई तरह के रिसर्च और महत्वपूर्ण किताबें हैं। आदिवासी महोत्सव के मौके पर एक खास डाक टिकट का भी लोकार्पण किया गया है।
दिशोम गुरू शिबू सोरेन ने कहा
आदिवासी पूरे देश पूरी दुनिया में हैं। आदिवासी जीवन जीने का खाने का प्रयास करता आया है। आदिवासी मजदूरी करता है। हम आदिवासी दिवस मनाते हैं आने वाली पीढ़ी भी मनाती रहेगी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने क्या कहा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर बधाई देते हुए अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि यह दूसरी बार यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। पिछली बार तेज बारिश के बावजूद भी मजबूती से कार्यक्रम को धूमधाम के साथ मनाया गया। आज एक बार फिर आदिवासी महोत्सव की तुलना में यह उत्साह भरा है। इस दो दिवसीय महोत्सव के कार्यक्रम के उद्घाटन में मुझे बोलने का मौका मिला है। इस महोत्सव का अपना एक महत्व है। आज की परिस्थिति में यह दिवस और भी कई मायनों में महत्वपूर्ण है दो दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से आये हुए आदिवासी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे ही साथ ही अपनी समस्याओं पर भी चर्चा करेंगे। आदिवासी अर्थव्यवस्था, मानवविज्ञान सहित कई विषयों पर चर्चा का आयोजन किया जा रहा है। राज्य के विभिन्न राज्यों से आये आदिवासी समुदाय के नृत्य का प्रदर्शन किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा, यहां आपको सोहराय पेटिंग को भी समझेंगे, आदिवासी व्यंजन जो मुख्यधारा से गायब हो रहे हैं उसका स्वाद मिलेगा। नृत्य संगती आदिवासी समाज की पहचान है। मणिपुर में जो हिंसा हो रही है वह इस संघर्ष की ही पहचान है। संघर्ष है कट्टरपंथियों और जीओ और जीने दो की उदार ताकतों को बीच। संघर्ष है प्रकृति का विनाश करने वाले और प्रकृति का सहयोग बनकर रहने वाले लोगों के बीच। देश के 13 करोड़ से ज्यादा आदिवासी को मैं एक साथ लड़ने की अपील करता हूं। आज देश का आदिवासी बिखरा हुआ है, हम धर्म क्षेत्र के आधार पर बटे हैं। हमारा लक्ष्य, हमारी समस्या एक जैसी है तो हमारी लड़ाई भी एक जैसी होनी चाहिए। देश में आदिवासियों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ रहा है। हमारी व्यवस्था इतनी निर्दयी है कि उन्होंने यह भी पता नहीं किया कि खदानों, उद्योगों के दौरान विस्थापित हुए बेघर हुए लोग। इसमें 80 प्रतिशत आदिवासी हैं। इन्हें अपनी जड़ों से काट दिया गया है। कल का किसान आज साइकिल पर कोयला बेचने को मजबूर है, बंधुआ मजदूर है, लाखों एकड़ जमीन कोयला कंपनियों को दी गयी।
मुख्यमंत्री ने कहा, हमारी धरती तप रही है लेकिन कंपनी और केंद्र सरकार कान में तेल डालकर सोई हुई है। किसकी संपत्ति खत्म हुई, किसकी जमीन गयी। जो विकसित हैं वो कौन हैं। इतिहासकारों ने भी आदिवासियों के साथ बईमानी की और आदिवासियों का जिक्र नहीं किया गया है। देश की आजादी के लिए आदिवासियों ने बलिदान दिया। इतिहासकारों ने हमारे पूर्वजों को जगह नहीं दी। आदिवासी के अधिकार को किसी और को दिया जा रहा है। लोग हमारे नाम तक छिनने लगे हैं। हम मूल निवासी हैं, प्रकृति का हिस्सा हैं। कोई हमें वनवासी कहकर चिढ़ा रहा है। आज आदिवासी अपनी पहचान के लिए इतिहास में की गयी अपेक्षा के खिलाफ बोलता है तो उन्हें चुप कराने की साजिश रची जा रही है। समाज की मुख्य धारा के माध्यम से हमेशा प्रयास किया गया है कि हमारी कोई भूमिका ना रहे। जब हम इतिहास जानने का प्रयास करते हैं तो 1800 ई के पूर्व का इतिहास नहीं मिलता है। हमें टुकड़ों में बांटकर देखने का प्रयास किया गया है। हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए बहुत कुछ किया। इस देश को गढ़ने में आदिवासी समाज की पुनर्व्यवस्था की जानी चाहिए। हमारे पास विश्व में मानव समाज को देने के लिए बहुत कुछ है बस उसकी दृष्टि होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी समाज के महत्व और उनके बलिदान का जिक्र करते हुए कहा कि आदिवासी समाज स्वाभिमानी कौन है, यह किसी से भीख नहीं मानता। हम इस देश के मूल वासी हैं। हमारे पूर्वजों ने जंगल बचाया, पहाड़ बचाया है। हमें जंगल में गरीब के रूप में ना देखें। विकास की पूरी कहानी हमारे पूर्वजों के पास है। जरूरत है कि आदिवासी समाज के प्रति सम्मान और सहयोग पैदा किया जाए। आज जो हम विभाजित और असंगठित हैं यही वजह है कि एक राज्य से दूसरे राज्य के आदिवासी का विषय एक साथ नहीं मिल पा रहा है। जब लड़ाई अस्तित्व को वजूद की हो तो सामने आना ही पड़ता है। मिट कर भी उसे हासिल करना ही पड़ता है। आदिवासी नाचने गाने वाले हैं लेकिन जब गुस्सा होते हैं जो जबान नहीं तीर चलता है।
राजीव अरुण एक्का ने क्या कहा
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए पंचायती राज में सचिव राजीव अरुण एक्का ने की। उन्होंने कहा, आदिवासी सीधे होते हैं उनके लिए भी योजनाएं बन रही है। महात्मा गांधी ने 9 अगस्त को भारत छोड़ों की शुरुआत की थी और 9 अगस्त को ही विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। विश्व आदिवासी दिवस एक अवसर होता है जिसमें झारखंड राज्य के संबंध में कहना चाहूंगा जब से हेमंत सोरेन की सरकार आयी है तब से आदिवासियों के लिए कई कार्य किया है। झारखंड में प्रत्येक गांव में प्रत्येक प्रखंड में शपथ लेने की आवश्यकता है कि हम भी आगे बढ़ेंगे जीतेंगे। मैं पुन : सभी का स्वागत करता हूं।
फिल्म,साहित्य,कविता और कहानियों का अनोखा संगम होगा यह महोत्सव। आदिवासी खान-पान से लेकर पहनावा, रहन-सहन और संस्कृति को नजदीक से समझना हो तो इस कार्यक्रम में समझ सकते हैं। समारोह की शुरुआत दिन के 12.10 बजे रीझ रंग रसिका रैली से होगी। इसमें 32 जनजातीय समूह पारंपरिक वाद्य यंत्रों का वादन करते हुए करमटोली चौक से समारोह स्थल तक पहुंचेंगे।
झारखंड के साथ -साथ जिन राज्यों से लोग शामिल हो रहे हैं उनमें ओडिशा, असम, गुजरात, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल के आदिवासी शामिल हो रहे हैं। दोपहर 1:00 बजे बतौर मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कार्यक्रम समारोह का उद्घाटन करेंगे।
आज होगा कार्यक्रम का उद्घाटन
इस कार्यक्रम में राज्य के मंत्री, विधायक, सांसद और गणमान्य लोग भी शामिल हो रहे हैं। दोपहर 12:10 बजे से 32 आदिवासी समूह करमटोली चौक से बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान तक निकालेंगे रीझ रंग रसिका रैली निकलेगी। नागपुरी,सराइकेला छऊ, डोमकच, पायका समेत अन्य नृत्य की प्रस्तुति देंगे कलाकार, आदिवासी फिल्म और फैशन शो भी होगा।
10 अगस्त को होगा खास
10 अगस्त को भी पाइका नृत्य, उरांव आदिवासी समुदाय का लोक नृत्य, गोंड आदिवासी समुदाय का किहो नृत्य, कर्नाटक के आदिवासी समुदाय द्वारा दमनी लोक नृत्य, लखन गुड़िया का मुंडारी गायन वादन, पद्मश्री एच मधु मंसूरी की गायन प्रस्तुति, रमेश्वर मिंज द्वारा बांसुरी वादन, अरुणाचल प्रदेश के निशि आदिवासी समुदाय द्वारा रेखम पड़ा नृत्य, असम के हाजोंग आदिवासी समुदाय द्वारा लेवा टाना नृत्य, दिओरी आदिवासी समुदाय का बिहू नृत्य, झारखंड का डोमकच नृत्य व गुजरात के अफ्रीकन आदिवासी समुदाय द्वारा सिद्धि धमाल नृत्य की प्रस्तुति होगी।
कौन - कौन हैं कार्यक्रम में उपस्थित
शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन के साथ विधायक चंपई सोरेन, विनोद सिंह, जयमंगल सिंह, राजेश कच्छप,
मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, राज्य के डीजीपी अजय कुमार, आदिवासी कल्याण सचिव राजीव अरुण एक्का, प्रधान सचिव वंदना, विनय कुमार चौबे, राजेश कुमार
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