झारखंड

सरकार के लिए अपने स्रोतों से राजस्व संग्रह सबसे बड़ी चुनौती

Admin Delhi 1
27 Feb 2023 6:47 AM GMT
सरकार के लिए अपने स्रोतों से राजस्व संग्रह सबसे बड़ी चुनौती
x

राँची न्यूज़: वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा है कि ओडिशा सरकार खान विभाग से सालाना 50 हजार करोड़ रुपए राजस्व प्राप्त करती है, जबकि झारखंड सरकार को खान-खनिज से राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य मात्र 9680 करोड़ रुपए है. ऐसे में वित्त मंत्री की चिंता स्वाभाविक है.

झारखंड के पास पर्याप्त खान और खनिज भंडार होने के बावजूद राजस्व संग्रह में क्यों पीछे है. झारखंड सरकार के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव नए वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए आगामी तीन मार्च को बजट पेश करेंगे. हेमंत सोरेन सरकार का यह चौथा बजट होगा. झारखंड सरकार अगला बजट लोक लुभावन रख सकती है. अगला साल चुनावी वर्ष है और सरकार चुनावी साल के बजट में लोगों को लुभानेवाले प्रस्ताव नहीं रख पाएगी.

सरकार के सामने अपने संसाधनों से ज्यादा राजस्व वसूली सबसे बड़ी चुनौती है. खान और खनिज से राजस्व संग्रहण में ओडिशा और झारखंड के बीच इतना अंतर क्यों है, इस पर सरकार गंभीर है. खान विभाग से कम राजस्व की प्राप्ति के पीछे क्या कारण हो सकता है. झारखंड में कोयला, लोह अयस्क, ग्रेनाइट, ग्रेफाईट जैसे खनन लीज आवंटन में इतनी सारी प्रक्रियात्मक जटिलताएं है, जिसके कारण निवेशकों को आसानी से लीज आवंटन नहीं हो पाता है. झारखंड में लीज आवंटन में पारदर्शिता की जरूरत है. जटिलताओं को खत्म कर सरकार पारदर्शी ढंग से लीज आवंटन करेगी तो खान विभाग सालाना 30 से 40 हजार करोड़ रुपए राजस्व दे सकता है.

आर्थिक मामलों के जानकार राधाकृष्ण के सुझाव:

● राज्य सरकार को खनिज लीज आवंटन मामले में पारदर्शिता लाने की जरूरत है.

● राज्य माइंस मिनरल से राजस्व वृद्धि कर सकती है.

● अवैध खनन पर रोक लगाकर राजस्व की वृद्धि की जा सकती है.

● उत्पाद विभाग के माध्यम से राजस्व संग्रहण बढ़ाया जा सकता है.

● जीएसटी में लीकेज को बंद कर राजस्व में वृद्धि हो सकती है.

● मानव संसाधन को विकसित करने के लिए सरकारी विभागों को रिक्त पदों का प्रावधान बजट में करना चाहिए.

● ग्रामीण अर्थ व्यवस्था की मजबूती के लिए कृषि, मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन, पशुपालन, ग्रामीण विकास विभाग तथा जल संचयन पर कुल योजना का 40 प्रतिशत राशि का प्रावधान किया जाये.

● झारखंड में पानी का अभाव बड़ी समस्या है. 2011 के बाद निरंतर भूगर्भीय जलस्तर में लगातार गिरावट आ रही है.

बजट राशि खर्च के लिए मानव संसाधन सबसे महत्वपूर्ण:

आर्थिक मामलों के जानकार पूर्व मंत्री राधाकृष्ण किशोर के अनुसार, बजट राशि खर्च करने के लिए मानव संसाधन का होना भी बेहद महत्वपूर्ण है. झारखंड सरकार के विभिन्न विभागों में हजारों पद रक्ति है. डॉक्टर, इंजीनियर, कॉलेज के सहायक प्रोफेसर, शक्षिक तथा तृतीय चतुर्थ वर्गीय हजारों की संख्या में स्वीकृत पद खाली पड़े हुए हैं. सरकारी विभागों को मानव संसाधन के अभाव के कारण योजना बजट की राशि का ससमय खर्च करने पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. 2020 के सर्वे के अनुसार, झारखंड में मात्र 5.04 बिलियन क्यूबिक मीटर ही भूगर्भीय जल उपलब्ध है. अत सतही जल के संग्रहण के लिए चेकडैम, नदियों में सीरिज चेकडैम, तालाब आदि के निर्माण के लिए बजट में प्रावधान किया जाए.

Next Story