झारखंड

राशन के लिए दुकानदारों से खरी-खोटी सुन रहे शिक्षक, कहीं उधार तो कहीं शिक्षकों के वेतन से चल रहा मिड-डे-मील

Renuka Sahu
26 Aug 2022 2:28 AM GMT
Teachers are listening to the shopkeepers for ration, somewhere on loan and somewhere the mid-day meal is running from the salary of the teachers.
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फाइल फोटो 

झारखंड सहित राजधानी रांची में मिड-डे-मील योजना की स्थिति बदहाल है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड सहित राजधानी रांची में मिड-डे-मील योजना की स्थिति बदहाल है। आलम ये है कि सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मिड-डे मील कहीं उधार पर चल रही है तो कहीं शिक्षकों को अपनी सैलरी खर्च कर बच्चों का भोजन बनवाना पड़ रहा है। जहां उधार चल रहा है, वहां और भी परेशानी है। राशन की खरीद के लिए शिक्षकों को दुकानदारों की खरी-खोटी भी सुननी पड़ रही है। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों का हाल और भी खराब है।

दो महीने से कोई राशि नहीं मिली
शिक्षकों ने परेशानी बताते हुए कहा कि दो माह से मिड-डे-मील की राशि नहीं मिली है। खाद्यान्न सामग्री खरीदने और उसे पकाने की समस्या उत्पन्न होने लगी है। प्राचार्य किसी तरह बाजार से उधार का राशन, गैस लाकर बच्चों को खिला रहे हैं। इसका असर बच्चों के गुणवत्तापूर्ण भोजन पर भी पड़ रहा है। छात्रों को कभी सब्जी, कभी अंडा तो कभी फल तक नहीं मिलता।
पिपरवार में डेढ़ लाख से अधिक हुआ उधार
पिपरवार के उत्क्रमित हाई स्कूल राय के प्राचार्य नेशार अहमद बोले, सात मार्च से मिड-डे मील स्कूल में चालू किया गया है, लेकिन अभी तक सरकार द्वारा राशि नहीं दी गई है। राशन दुकान से अभी तक डेढ़ लाख से अधिक का राशन मंगाया जा चुका है। बिशुझापा स्कूल की प्राचार्या रेशमा देवी बोलीं, यदि समय रहते पैसा नहीं भेजा गया तो मिड-डे मील को नियमित रूप से चलाना मुश्किल होगा। खलारी के दर्जनों प्राथमिक विद्यालयों में उधार के राशन से खाना परोसा जा रहा है। प्रखंड के कुल 50 सरकारी मध्य व प्राथमिक विद्यालयों में 10 विद्यालय ऐसे हैं, जिन्हें अभी तक अंडा का भी पैसा नहीं मिला है।
दुकानदार बार-बार मांग रहे पैसा
अनगड़ा प्रखंड के मध्य विद्यालय गेतलसूद के प्राचार्य सहज कुमार ने बताया कि जुलाई से अभी तक दुकान से उधार लेकर बच्चों को मध्याह्न भोजन कराया जा रहा है। दुकानदार द्वारा उधारी चुकता करने के लिए बार-बार बोलने लगे हैं। इधर, मध्य विद्यालय नवागढ़ के प्राचार्य हरे कृष्ण चौधरी ने बताया कि पिछली बार बच्चों को अंडा खिलाने के लिए जो अधिक राशि मिली थी उसी पैसे से बच्चों को मध्याह्न भोजन कराया जा रहा हैं।
वहीं, सोनाहातू प्रखंड में भी जुलाई से उधारी में मिड-डे मील चल रहा है। प्रखंड में 100 स्कूल हैं, सभी स्कूलों में सितंबर तक का चावल भेजा जा चुका है। स्कूलों में जून तक ही राशि उपलब्ध थी। जुलाई माह से स्कूल प्रबंधन उधारी में बच्चों को भोजन खिला रहा है। पिस्का नगड़ी स्थित राजकीय मध्य विद्यालय की प्राचार्या शोभा तिर्की ने बताया कि मई महीने से ही इस मद की राशि नहीं मिली है। दुकान से उधार लेकर अब तक बच्चों को भोजन कराया जा रहा है।
महंगाई भी बड़ी समस्या
शिक्षकों ने बताया कि हाल में हुई बारिश के बाद सब्जी की कीमतें बढ़ गई हैं। जिन दुकानों से सामग्री खरीदते हैं, वहां के दुकानदार पैसे मांग रहे हैं। उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय बाजारटांड़ की प्राचार्या शमा परवीन ने कहा कि ने कहा कि 1100 रुपये गैस की कीमत हो गई है। 200 रुपए तेल की कीमत है, शिक्षक कितने दिनों तक बिना राशि मिले खाना खिला सकते हैं।
रांची के डीएसई आकाश कुमार ने कहा कि स्कूलों को अतिरिक्त राशि दी गई है। कुकिंग कॉस्ट की राशि की समस्या हो सकती है, लेकिन स्कूलों को निर्देश है कि वे अन्य फंड का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि अभी तक कहीं से कोई शिकायत नहीं आई है।
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