राँची न्यूज़: झारखंड में एलिफेंट कॉरिडोर (हाथी गलियारा) पर बातें बहुत हुईं, पर धरातल पर काम नहीं हो पाया. यही वजह है कि राज्य में लगभग हर दिन हाथियों का हमला जारी है. हमले में लोगों की मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. हाथी लगातार फसलों को रौंद रहा है, घरों को तोड़ रहा है.
बढ़ते खनन, नई-नई चौड़ी हाईस्पीड सड़कें और आबादी बढ़ने से हाथियों के चिह्नित रास्तों पर मानव का अतिक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, जिस कारण राह में आने वाली फसलें बर्बाद हो रही, घर क्षतिग्रत हो रहे और मानव कुचले जा रहे हैं. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआई) द्वारा पूर्व में किए गए एक सर्वे के मुताबिक झारखंड में हाथियों के मार्ग में आने वाले ग्रामीणों द्वारा विरोध किए जाने के कारण वन विभाग के स्तर से गलियारों पर बात आगे नहीं बढ़ पाई.
जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में मानव-हाथी की बीच संघर्ष और बढ़ेगा. हाथियों के लिए गलियारा तो दूर विचरण के लिए भी स्थान नहीं बचेगा. झारखंड गठन के 22 साल बाद भी हाथियों के गलियारे की अधिसूचना सरकार के स्तर पर जारी नहीं हुई. सरकार के स्तर पर इस दिशा में कोई विशेष तैयारी भी नहीं दिख रही है.
इन मार्गों पर हाथियों का अधिक आवागमन
● टुंडी-जामताड़ा-धनबाद-दुमका-मसलिया. इस रूट पर वर्ष में एक बार हाथियों का झुंड जरूर निकलता है.
● जमशेदपुर से पश्चिम बंगाल, हजारीबाग-चतरा, लोहरदागा-रांची.
राज्य में हाथियों के हमले में किस वर्ष कितनी मौत
वर्ष मानव मौत
2021-22 60 (लगभग)
2019-20 60 (लगभग)
2018-19 71
2017-18 78
2016-17 59
2015-16 66
2014-15 53
2013-14 56
2012-13 60
2011-12 62
2010-11 69
2009-10 54
600 में से 70 हाथी झुंड में करते हैं आवाजाही
सेवानिवृत्त पीसीसीएफ पीके श्रीवास्तव के अनुसार, झारखंड में हाथियों की संख्या 580 से 600 के आसपास बताई जाती रही है. सभी हाथी हमलावर नहीं होते. एक अनुमान के अनुसार 60 से 70 हाथी अलग-अलग झुंड में एक-से-दूसरे स्थान पर आवागमन करते हैं. कई बार अनचाहे कारणों से रास्ता भटक जाते हैं. वह आबादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश करते हैं. अप्रत्याशित घटनाएं होती हैं. इस स्थिति में हाथी-मानव संघर्ष देखा जाता है. हाथियों के हमले या हमले की आशंका को देखते हुए लोग उन्हें खदेड़ने के लिए दौड़ पड़ते हैं.
झारखंड के आसपास देश के 11 प्रतिशत हाथी 45 फीसदी हमले
वन विभाग के मुताबिक देश के 11 प्रतिशत हाथी मध्य पूर्वी भारतीय क्षेत्र पश्चिम बंगाल (दक्षिण), ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड में हैं. हाथी के हमले के 45 फीसदी मामले इन्हीं क्षेत्रों में हो रहे हैं. इसलिए हाथियों के हमले को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग अंतरराज्यीय समन्वय स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है