झारखंड

721 कर्मियों की सेवा समाप्त करने के आदेश पर रोक

Admin Delhi 1
2 Sep 2023 6:02 AM GMT
721 कर्मियों की सेवा समाप्त करने के आदेश पर रोक
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चमरा भेंगरा ने हाईकोर्ट में दी थी आदेश को चुनौती

राँची: सैप एक और दो में कार्यरत लगभग 721 कर्मियों को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. राज्य सरकार की ओर से सेवा समाप्त करने के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. राज्य सरकार ने सैप में कार्यरत कर्मियों की सेवा समाप्त करने का आदेश दिया है. इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.

को हाईकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने सैप कर्मियों को सेवानिवृत्ति उम्र से पूर्व राज्य सरकार द्वारा हटाए जाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत राज्य सरकार के आदेश पर तत्काल रोक लगा दी है. साथ ही मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया गया है. मामले की अगली सुनवाई पांच अक्टूबर को निर्धारित की गई है.

चमरा भेंगरा ने हाईकोर्ट में दी थी आदेश को चुनौती राज्य सरकार सैप एक और दो में कार्यरत लगभग 721 कर्मियों की सेवा समाप्त करने का आदेश दिया है. राज्य सरकार के इस आदेश को प्रार्थी चमरा भेंगरा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उसी याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने उस आदेश पर रोक लगा दी है. हाईकोर्ट के इस आदेश से सैफ कर्मियों को तत्काल का राहत मिली है.

साल 2008 से सैप में संविदा पर कर रहे नौकरी

मामले की सुनवाई के दौरान याचिका दायर करने वाले के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि वर्ष 2008 से चमरा भेंगरा सहित अन्य सेवानिवृत्त फौजी के जवान सैप में संविदा पर नौकरी कर रहे हैं. राज्य सरकार में सेवानिवृत्ति उम्र 60 वर्ष की है, लेकिन राज्य सरकार के द्वारा सेवानिवृत्ति उम्र से पूर्व संविदा पर नियुक्त जवान जिनकी उम्र 60 वर्ष से कम है. कई की उम्र 45 वर्ष है. उन्हें हटाया जा रहा है यह उचित नहीं है.

जहां भी भेजा अच्छी सेवा दी

प्रार्थी ने अदालत को बताया कि सीसीएल कंपनी के द्वारा भी सैप जवान की मांग की गई है. राज्य सरकार अगर उसे कंपनी को सेवा के लिए भेज देती है, तो वह वहां बेहतर काम देते हैं. उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में सेवानिवृत्त फौजी के जवान जो कि वर्तमान में सैप में संविदा पर हैं. वे अच्छी सेवा देते हैं, क्योंकि उन्हें इस तरह की जगह में काम करने का अनुभव प्राप्त रहता है. उन्होंने अदालत से गुहार लगाई कि कम-से-कम उन्हें 60 वर्ष तक हटाया नहीं जाए. सरकार का आदेश उचित नहीं है, इसीलिए इस आदेश को रद्द कर दिया जाए.

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