झारखंड

जनप्रतिनिधियों पर दर्ज आपराधिक मामलों का होगा स्पीडी ट्रायल

Renuka Sahu
17 March 2022 3:48 AM GMT
जनप्रतिनिधियों पर दर्ज आपराधिक मामलों का होगा स्पीडी ट्रायल
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फाइल फोटो 

झारखंड के जनप्रतिनिधियों पर दर्ज सभी आपराधिक मामलों में स्पीडी ट्रायल होगा।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | झारखंड के जनप्रतिनिधियों पर दर्ज सभी आपराधिक मामलों में स्पीडी ट्रायल होगा। गवाहों को समय पर उपस्थित करने के लिए सीआईडी की निगरानी में एक कोषांग का गठन किया जायेगा। झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद गृह विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।

सभी जिलों के एसपी को सरकारी या गैरसरकारी गवाहों की उपस्थिति कराने का निर्देश दिये गये हैं। इस कोषांग के प्रभारी जिले के मुख्यालय डीएसपी होंगे, वहीं न्यायालय से समन्वय के लिए प्रत्येक जिले के एक इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी को नोडल पदाधिकारी नियुक्त किये जायेंगे। हाईकोर्ट में सरकार की ओर से इसका शपथपत्र दाखिल किया गया है।
समन्वय के लिए हर जिले में नोडल पदाधिकारी
जिलों से समन्वय स्थापित करने के लिए सीआईडी एसपी को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। सभी जिलों के एसपी को निर्देश दिया गया है कि जिलों के मुख्यालय डीएसपी व इंस्पेक्टर कांड को लेकर सीआईडी के गठित कोषांग के साथ समन्वय स्थापित रखेंगे। प्रत्येक जिले में ट्रायल के लिए नियुक्त नोडल पदाधिकारी अपने जिला के पीपी, एपीपी के साथ विशेष न्यायालय के पीपी से भी संपर्क स्थापित रखेंगे। वारंट-समन का निष्पादन ससमय करने का निर्देश भी दिया गया है।
हर माह हाईकोर्ट में देनी है प्रगति रिपोर्ट
सांसदों-विधायकों से जुड़े आपराधिक मामलों की कानूनी प्रक्रिया में बेवजह की देरी पर झारखंड हाईकोर्ट गंभीर है। राज्य के सांसद-विधायकों के लंबित आपराधिक मामलों का तेजी से ट्रायल कर मामलों का निपटारा करने के लिए कहा गया था। झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद विशेष कोर्ट में जिलों के क्षेत्राधिकार निर्धारित किए गए हैं। बता दें कि झारखंड में विधायक और सांसद रहे लोगों पर कुल 165 केस दर्ज हैं। जनप्रतिनिधियों पर हत्या, जालसाजी, चोरी, दंगा जैसे गंभीर कांड में मामले दर्ज हैं। झारखंड हाईकोर्ट में प्रत्येक माह माननीयों पर दर्ज कांडों की अद्यतन रिपोर्ट भी दी जानी है। कई मामलों में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है। कुछ में अनुसंधान जारी है और कुछ गवाही के स्टेज पर है। कई पुराने मामले में अनुसंधान पूरी नहीं हुई है। कई मामलों में आरोप गठन नहीं हुआ है।


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