न्यूज़क्रेडिट:आजतक
झारखंड में स्कूलों की साप्ताहिक छुट्टी शुक्रवार किए जाने को लेकर बीजेपी राज्य सरकार पर हमलावर हो गई है. बुधवार को उसने इसके खिलाफ झारखंड विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया. पार्टी के सभी विधायक गेरुआ वस्त्र में पहुंचे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. बीजेपी का आरोप है कि शुक्रवार का अवकाश किए जाने को सरकार का संरक्षण प्राप्त था. बीजेपी की मांग है कि अगर सरकार को रविवार को छुट्टी देने में अगर कोई परेशानी है तो वह स्कूलों में मंगलवार को साप्ताहिक अवकाश की घोषणा कर दे.
लगे 'बोल बम' के नारे
झारखंड विधानसभा के बाहर बीजेपी के विधायकों ने जमकर 'बोल बम' और 'बाबा एक सहारा' के नारे लगाए. साथ ही यही नारे लिखी तख्तियां भी लहराती देखी गईं. बीजेपी का आरोप है कि राज्य सरकार तुष्टिकरण की नीति के तहत शिक्षा और स्कूलों का इस्लामीकरण करने की फिराक में है. विपक्ष के मुख्य सचेतक विर्णाची नारायण ने सवाल उठाया कि आखिर कैसे शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश दिया जाने लगा, तब तो हिंदुओं के लिए मंगलवार की छुट्टी की घोषणा क्यों नहीं होनी चाहिए?
साहेबगंज से बीजेपी विधायक अनंत ओझा ने इस मुद्दे पर प्रश्नकाल में सवाल भी उठाया था. उनका कहना है कि राज्य सरकार पशु तस्करी से लेकर अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण में लगी है. सैकड़ों स्कूलों में रविवार की छुट्टी को बंद करके शुक्रवार को छुट्टी दी जाने लगी. धनबाद के बीजेपी विधायक राज सिन्हा ने कहा कि एससी या एसटी समुदाय से आने वाले बच्चों को जब साइकिल दी जाती थी, तो उनसे सर्टिफिकेट की मांग की जाती थी, लेकिन माइनोरिटी के लिए कोई नियम नहीं था. राज्य में इस्लामीकरण की शुरुआत तब ही हो चुकी थी.
बीजेपी के आरोपों पर राज्य के कैबिनेट मिनिस्टर मिथिलेश ठाकुर ने पलटवार करते हुए कहा कि केन्द्र में बीजेपी का शासन है. वो देश को हिंदू राष्ट्र ही क्यों नहीं घोषित कर देती है?
शुक्रवार की छुट्टी बनी सियासी अखाड़ा
जुलाई की शुरुआत से ही झारखंड में सामान्य स्कूलों को उर्दू स्कूल में तब्दील कर शुक्रवार को वीकेंड छुट्टी देने और रविवार को स्कूल खुला रखने का मामला सियासी अखाड़ा बना हुआ है. इसकी गूंज विधानसभा सत्र के दौरान भी सुनाई दी. साहेबगंज से भाजपा विधायक अनंत ओझा के सवाल पर मिले जवाब से खुलासा हुआ कि राज्य में कुल 509 विद्यालय में रविवार की जगह शुक्रवार की छुट्टी दी जा रही है.
हालांकि सरकार ने मामले के प्रकाश में आने के बाद एक्शन लिया और 459 विद्यालय में पुरानी व्यवस्था लागू कर दी. इसके अलावा 407 विद्यालय को स्थानीय स्तर पर ही उर्दू विद्यालय घोषित कर दिया गया था. इनमें से 350 विद्यालयों में व्यवस्था को सुधार दिया गया है.