झारखंड

रिम्स एचओडी मामले में कोर्ट जा सकते हैं सीनियर प्रोफेसर

Admin Delhi 1
7 Jun 2023 6:30 AM GMT
रिम्स एचओडी मामले में कोर्ट जा सकते हैं सीनियर प्रोफेसर
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राँची न्यूज़: रिम्स में रोटेशनल एचओडी बनाए जाने के मामले में अब कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट की तैयारी चल रही है. रिम्स प्रबंधन द्वारा रोटेशन के तहत सीनियर प्रोफेसर की जगह एसोसिएट प्रोफेसर को एचओडी बनाए जाने के आदेश को हाईकोर्ट में सिंगल बेंच के बाद डबल बेंच ने भी बीते दो मई को गलत करार दिया था. इसके बाद सीनियर मोस्ट प्रोफेसर को ही एचओडी बनाने का रास्ता साफ हो गया था, लेकिन हाईकोर्ट का आदेश अबतक लागू नहीं किया गया है.

बीते 30 मई को हाईकोर्ट का फैसला अपलोड हो जाने के बाद माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व एचओडी डॉ मनोज कुमार, कार्डियोलॉजी के पूर्व एचओडी डॉ हेमंत नारायण राय, पेडियाट्रिक सर्जरी के पूर्व एचओडी डॉ हीरेंद्र बिरुआ और रेडियोलॉजी के पूर्व एचओडी डॉ सुरेश टोप्पो ने बीते एक जून को तत्कालीन निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद से मुलाकात कर हाईकोर्ट का आदेश लागू करने का अनुरोध किया था. डॉ कामेश्वर प्रसाद ने बताया था कि इसको लेकर संचिका स्वास्थ्य मंत्री सह जीबी अध्यक्ष बन्ना गुप्ता को भेजी गयी है. उसके बाद डॉ मनोज कुमार व अन्य ने मंत्री से भी मुलाकात कर हाईकोर्ट का आदेश लागू करने का अनुरोध किया है.

चिकित्सकों ने बताया कि मंत्री ने आश्वस्त किया है कि हाईकोर्ट का आदेश लागू किया जाएगा. हालांकि अभी मंत्री के पास संचिका गयी ही नहीं है. चिकित्सकों के स्पष्ट कहा कि जरूरत पड़ी तो हाईकोर्ट का आदेश लागू किए जाने को लेकर कंटेंप्ट फाइल किया जाएगा.

डबल बेंच ने खारिज कर दिया था रिम्स का एलपीए

रोटेशनल एचओडी को लेकर उक्त चारों पूर्व एचओडी ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके बाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रिम्स प्रबंधन के इस फैसले को गलत ठहराते हुए पूर्व की व्यवस्था कायम करने का निर्देश दिया था. सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ रिम्स प्रबंधन ने 10 मई 2022 को एलपीए दायर किया. बीते 2 मई 23 को मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायाधीश आनंदा सेन की खंडपीठ ने रिम्स प्रबंधन की ओर से दायर एलपीए को सुनवाई के बाद खारिज कर दी थी. यानी, नेशनल मेडिकल काउंसिल और एम्स नई दिल्ली के प्रावधानों के अनुरूप रिम्स में अब पूर्व की तरह विभिन्न विभागों के सीनियर मोस्ट प्रोफेसर ही एचओडी बनेंगे. गत 30 मई को यह आदेश अपलोड कर दिया गया, लेकिन उसके बाद भी रिम्स प्रबंधन द्वारा अबतक पूर्व की व्यवस्था बहाल नहीं की गयी है.

इस मामले की सुनवाई में स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी लिखकर दिया गया कि विभाग का स्पष्ट मानना है कि प्रोफेसर ही एचओडी होने चाहिए. इसी मुद्दे को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने रिम्स निदेशक को शोकॉज भी किया था. रिम्स निदेशक ने खुद मार्च 2021 में कार्यालय आदेश जारी कर स्पष्ट किया था कि हर विभाग में पूर्णकालिक प्रोफेसर के रैंक का एक विभाग प्रमुख होगा, जिसका विभाग पर समग्र नियंत्रण होगा. इसी आधार पर उन्होंने छह विभागों में एचओडी की जिम्मेवारी दूसरे विभागों के प्रोफेसर को दे दी थी. जबकि, उन्होंने जनवरी 22 में आदेश जारी कर पांच विभागों में प्रोफेसर को हटाकर एसोसिएट प्रोफेसर को एचओडी बना दिया.

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