झारखंड

अलग सोच और मेहनत से बना आत्मनिर्भर, 5 कट्ठा जमीन पर ही चला रहा चार व्यवसाय

Gulabi Jagat
9 Aug 2022 10:43 AM GMT
अलग सोच और मेहनत से बना आत्मनिर्भर, 5 कट्ठा जमीन पर ही चला रहा चार व्यवसाय
x
कुछ बड़ा करने के लिए एक छोटी शुरुआत की ज़रूरत होती है. जब शुरुआत सधी हुई हो तो कदम दर कदम राह बनती जाती है. लेकिन संसाधन के अभाव में ज़्यादातर लोग नाउम्मीद होकर शुरुआत करने से ही हिचकिचाने लगते हैं. ऐसे लोगों के लिए महबुल्ला बिहारी एक मिसाल साबित हो सकते हैं. महबुल्ला बिहारी कुछ बड़ा करने के लिए ज़रूरी वहीं छोटी शुरुआत हैं.
पाकुड़ ज़िले के महेशपुर प्रखंड में पश्चिम बंगाल की सीमाई इलाके से सटा एक गांव है सोनार पाड़ा. इस गांव के एक किसान महबुल्ला बिहारी की चर्चा आसपास के इलाके में इन दिनों खूब हो रही है. अपनी ज़िंदगी में लंबा उतार चढ़ाव देख चुके महबुल्ला बिहारी ने पूरी उम्र मेहनत मज़दूरी की. लेकिन गुज़ारा मुश्किल था. इसके बाद महबुल्ला ने खेती का रूख किया. लेकिन उसके पास खेत के नाम पर महज पांच कट्ठा और दस धूर ही ज़मीन थी. जिसकी उपज ऊंट में ज़ीरा जैसा ही होता.
5 कट्ठा जमीन पर स्वावलंबन की खेती
महबुल्ला बिहारी की कहानी यहीं से शुरु होती है. उसने हार नहीं मानी. उसी 5 कट्ठा दस धूर की पैतृक जमीन पर संभावनाओं की नई बीज बोना शुरु कर दिया. चार कट्ठा जमीन में तालाब खुदवाया और उसमें मछलीपालन शुरु कर दिया. तालाब के किनारे पौधे लगाए. खेत के एक कोने में मुर्गीपालन शुरु कर दिया. एक हिस्से में बकरे भी पालने लगा. एक छोटे हिस्से में बत्तखों के बाड़े भी बनाये हैं. मुर्गियों के अवशिष्ट से मछलियों को चारा मिल जाता है. कीट पतंग बत्तख का आहार होता है. इस तरह के छोटे-छोटे प्रबंधन से महबुलला बड़े स्वावलंबन की ओर बढ़ चुका है.
तालाब के पास ही निर्माणाधीन मुर्गी फार्म
दूर की सोच
छोटी की शुरुआत के बाद महबुल्ला ने धीरे-धीरे सोच का दायरा बढ़ाना शुरु कर दिया है. महबुल्ला कहते हैं कि आज उनके पास चार बकड़े हैं. लेकिन आने वाले एक साल के भीतर सौ से ज़्यादा बकरे और बकरिया होंगी. इतना ही नहीं मुर्गी और बत्तख फार्म का दायरा भी बढ़ाया जाएगा. उसके लिए उन्होनें तैयारी भी शुरु कर दी है. महबुल्ला बिहारी कहते हैं कि आने वाले दो साल में आय को चारगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है.
आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर नागरिक का नारा इन दिनों देश में ख़ूब गूंज रहा है. महबुल्ला उसी आत्मनिर्भर भारत की एक छोटी लेकिन गहरी दस्तखत है. महबुल्ला बिहारी भी कहता है कि हताश होने के बजाय कुछ छोटा ही करना चाहिए. बड़ा करने के लिए शुरुआत छोटे से ही होती है.



Source: lagatar.in


Gulabi Jagat

Gulabi Jagat

    Next Story