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मैनहर्ट घोटाले में एसीबी जांच पूरी होने के बावजूद झारखंड सरकार की तरफ से दोषिय़ों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किये जाने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है
Jamshedpur : मैनहर्ट घोटाले में एसीबी जांच पूरी होने के बावजूद झारखंड सरकार की तरफ से दोषिय़ों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किये जाने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. पूर्व मंत्री औऱ जमशेदपुर पूर्वी के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने इस मामले में रिट याचिका दायर करते हुए झारखंड सरकार और पुलिस महानिदेशक के साथ एसीबी के एडीजी और एसपी को पार्टी बनाया है. सरयू राय ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. उन्होंने लिखा है – 'मेनहर्ट घोटाला की जांच में आरोप सिद्ध हो जाने, मुख्य अभियुक्त सहित कई अभियुक्तों का जवाबी बयान आ जाने के बावजूद हेमंत सोरेन सरकार द्वारा आगे की कार्रवाई नहीं करने के विरूद्ध सरयू राय की ओर से झारखंड उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की गयी है. याचिका पर सुनवाई की प्रतीक्षा है.' बता दें कि मैनहर्ट घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास मुख्य आरोपी हैं. यह मामला वर्ष 2005 का है जब रघुवर दास अर्जुन मुंडा की सरकार में नगर विकास मंत्री थे. सरयू राय लंबे समय से इस मामले को उठाते आ रहे हैं. हेमंत सोरेन सरकार में भी उन्होंने विधानसभा में इस मामले को उठाया था, जिसके बाद सरकार ने एसीबी को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा था. एसीबी की जांच कई महीने पहले ही पूरी हो चुकी है, लेकिन सरकार की ओर से अब तक इस मामले में किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है. अब सरयू राय ने इस मामले को कोर्ट में ले जाकर सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है.
मैनहर्ट घोटाला एक नजर में
सिवरेज-ड्रेनेज के डीपीआर बनाने में घोटाला
कंसल्टेंट नियुक्ति में मनमानी
सिंगापुर की कंपनी है मैनहर्ट
मैनहर्ट को गलत तरीके से कंसल्टेंट बनाने का आरोप
21 करोड़ के घोटाले का आटोप
2005 में मैनहर्ट कंसल्टेंट नियुक्त
2011 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद कंपनी को भुगतान
2019 विधानसभा चुनाव में चुनावी मुद्दा
अक्टूबर 2020 में एसीबी जांच का आदेश
नवंबर 2020 में प्रारंभिक जांच दर्ज
जून 2021 में पूर्व सीएम रघुवर दास को नोटिस
क्या है मैनहर्ट घोटाला
वर्ष 2003 में झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य की राजधानी रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम विकसित करने का आदेश दिया. तत्कालीन नगर विकास मंत्री बच्चा सिंह के कार्यकाल में टेंडर निकाल कर दो परामर्शियों का चयन किया गया. 2005 में चुनाव हुआ और अर्जुन मुंडा की सरकार में रघुवर दास नगर विकास मंत्री बने. उनके कार्यकाल में रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के लिए डीपीआर तैयार करने के लिए पहले से बहाल दोनों परामर्शियों को हटा दिया गया. यह मामला हाईकोर्ट में भी गया था.
वर्ष 2005 में रांची में सीवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर बनाने के लिए सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया. आरोप है कि इस पर तकरीबन 21 करोड़ रुपये खर्च हुए. आरोप है कि मैनहर्ट को कंसलटेंट नियुक्त करने में भारी अनियमितता बरती गयी. मैनहर्ट के पक्ष में टेंडर की शर्तों में बदलाव किये गये और वित्तीय अर्हता नहीं रहने के बावजूद उसे काम दे दिया गया. शिकायत होने पर इसकी जांच हुआ. पांच मुख्य अभियंताओं की उच्चस्तरीय तकनीकी समिति और विधानसभा की समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में माना कि मैनहर्ट को काम देने में अनियमितता बरती गयी. दोषियों पर कार्रवाई की सिफारिश की गयी.
एसीबी जांच के आदेश
2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मुख्यमंत्री रघुवार दास को हराने के बाद सरयू राय ने इस मामले की जांच के लिए कई बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर मांग की. उन्होंने इस मामले को विधानसभा में भी उठाया, तो सरकार ने जांच कराने का आश्वासन दिया. अक्तूबर 2020 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एसीबी को मैनहर्ट मामले की जांच सौंप दी. एसीबी ने नवंबर 2020 के पहले हफ्ते में मैनहर्ट घोटाला में प्रारंभिक जांच दर्ज की. जून 2021 के तीसरे हफ्ते में एसीबी ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत कुछ लोगों को नोटिस भेजकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा.
लम्हों की खता
अपनी किताब लम्हों की खता में भी सरयू राय ने मैनहर्ट नियुक्ति घोटाला का जिक्र किया और रघुवर दास पर झारखंड को बदनाम करने का आरोप लगाया. सरयू राय ने लिखा कि रघुवर दास ने अपने निहित स्वार्थों के लिए ओआरजी को हटाया. इससे झारखंड को वित्तीय नुकसान झेलना पड़ा. उन्होंने रघुवर दास पर जनता की मुश्किलों को बढ़ाने और बीजेपी को बदनाम करने का आरोप भी लगाया.
'मैनहर्ट' पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ये कहा
सरयू राय के आरोपों पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जवाब देते हुए कहा कि सरयू राय की किताब में मेरे नाम का जिक्र किया गया. जिस मैनहर्ट पर यह किताब है, वह बहुत पुराना मामला है. सचिव से लेकर मुख्य सचिव तक ने इस पर जांच की है. कैबिनेट और भारत सरकार के पास भी मामला गया. वहां से स्वीकृति मिली. कोर्ट के आदेश के बाद मैनहर्ट को भुगतान किया गया. अगर सरयू राय को लगता है कि कोर्ट का आदेश सही नहीं था, तो उन्होंने अपील क्यों नहीं की. जब मैं नगर विकास मंत्री था, उस समय मैंने ही मैनहर्ट के मामले में कमेटी बनवाई थी. रघुवर दास ने आरोप लगाया कि सरयू राय उनकी छवि को धूमिल करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं.
सोर्स - News Wing

Rani Sahu
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