संजय तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत, 2017 में सामने आया था घोटाले का मामला
राँची न्यूज़: मिड-डे मील में 100 करोड़ के घोटाले के आरोपी संजय तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली है. संजय तिवारी को 16. 34 करोड़ रुपये सरकारी खाते में जमा करने और जांच को प्रभावित नहीं करने की शर्त पर जमानत दी गयी है.
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टि बीवी नागरत्ना की अदालत ने राशि की व्यवस्था करने के लिए चार सप्ताह की अंतरिम जमानत दी है. जमानत के दौरान संजय तिवारी केस के आईओ की अनुमति के बिना रांची से बाहर नहीं जा सकेंगे. उन्हें अपना पासपोर्ट भी जमा करना होगा. शीर्ष अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट इसके अलावा भी कुछ शर्त लगा सकती है. चार सप्ताह बाद संजय तिवारी को सरेंडर करना होगा. इसके बाद तीन मार्च को सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई की जाएगी.
23 नंवबर 2021 से न्यायिक हिरासत में है संजय तिवारी की ओर से जमानत के लिए दायर याचिका पर कहा गया कि वह 23 नंवबर 2021 से न्यायिक हिरासत में है. वह इस मामले में मिलनी वाली न्यूनतम सजा की आधी अवधि जेल में काट चुका है. वह स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से निकाली गयी राशि का शेष 16.34 करोड़ जमा करना चाहता है. राशि की व्यवस्था करने के लिए उसे कम से कम आठ सप्ताह की जमानत चाहिए, लेकिन अदालत ने सिर्फ चार सप्ताह की अंतिरम और सशर्त जमानत दी.
यह मामला वर्ष 2017 का है. ईडी की जांच में पता चला कि रांची स्थित हटिया के एसबीआई शाखा से झारखंड मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के खाते से भानु कंस्ट्रक्शन को 101.01 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए. जब 19 सितंबर 2017 को राज्य निकाय ने बैकों को निर्देश दिया कि जिलों में मध्याह्न भोजन की राशि जारी की जाए तो इस बात का खुलासा हुआ. जांच में यह बात भी सामने आयी कि 16 अगस्त 2017 को भी भानु कंस्ट्रक्शन के संचालक संजय तिवारी ने अपनी कंपनी में काम करने वाले राजू वर्मा के खाते में 8 करोड़ 27 लाख रुपये हस्तांतरित किए.
राजू वर्मा ने इन पैसों को अलग-अलग बैंक खातों में डाला. कुछ पैसों की नकद निकासी की और गाड़ियां खरीदी. संजय तिवारी की पत्नी और राजू वर्मा कई कंपनियों में पार्टनर्स भी थे.