राँची न्यूज़: अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर को केंद्र सरकार ने बाघ स्थिति रिपोर्ट जारी की. इसके अनुसार झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में एक बाघ होने की पुष्टि हुई. 2018 में यह संख्या शून्य थी. हालांकि, पीटीआर सीमा के बाहर राज्य में बाघ की मौजूदगी का कोई उल्लेख नहीं है, जबकि 2018 में पीटीआर के बाहर राज्य में पांच बाघों की रिपोर्ट की गई थी.
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ-वन्यजीव) शशिकर सामंत ने बताया इस रिपोर्ट में बाघ के अवशेषों के डीएनए विश्लेषण के माध्यम से पीटीआर में एक बाघ की सूचना दी गई है. पीटीआर सीमा के बाहर राज्य के अन्य क्षेत्रों में बाघ की मौजूदगी का उल्लेख नहीं किया गया है. इसके कारणों का पता लगाने के लिए समीक्षा की जाएगी. उन्होंने कहा कि पीटीआर में बाघ की मौजूदगी वास्तव में झारखंड के लिए अच्छी खबर है.
वहीं, पीटीआर के क्षेत्र निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि बाघ अनुमान अभ्यास अक्टूबर 2021 से मार्च 2022 में हुआ था. पीटीआर से भारतीय वन्यजीव संस्थान को 14 स्कैट नमूने भेजे गए थे. दो स्कैट नमूनों में बाघ होने की पुष्टि की गई. उम्मीद थी कि ताजा रिपोर्ट में कम से कम दो बाघ होंगे. लेकिन, डब्ल्यूआईआई के अधिकारियों ने कहा कि दोनों अवशेष एक ही बाघ के थे. उन्होंने बताया कि इस साल मार्च में करीब तीन साल बाद पीटीआर में एक बाघ देखा गया था. बाघ कथित तौर पर छत्तीसगढ़ से आया था और झारखंड में लगभग 20 दिनों तक रहने के बाद वह लौट गया. उन्होंने कहा, यह बाघ नवीनतम रिपोर्ट में शामिल नहीं है, क्योंकि इसे इस साल देखा गया था.
देश में प्रति वर्ष बाघों की वृद्धि दर 6.1 फीसदी
इस साल 9 अप्रैल को मैसूर में प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने के जश्न के दौरान बाघों की सख्या 3,167 घोषित की गई थी. भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की ओर से कैमरा-ट्रैप्ड और गैर-कैमरा-ट्रैप्ड के माध्यम से डाटा का विश्लेषण करने पर बाघ संख्या की ऊपरी सीमा 3,925 होने का अनुमान है और औसत संख्या 3,682 है. मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या सबसे अधिक 785 बताई गई है, जबकि कर्नाटक और उत्तराखंड में क्रमश 563 और 560 बाघ हैं.