झारखंड

भूमि विवाद मामले को लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने कहा- सीओ, सीआई और राजस्व कर्मियों की मनमानी से राज्य की जनता परेशान, इनपर एंटी करप्शन एक्ट के तहत हो कार्रवाई

Renuka Sahu
15 March 2022 4:06 AM GMT
भूमि विवाद मामले को लेकर झारखंड हाईकोर्ट ने कहा- सीओ, सीआई और राजस्व कर्मियों की मनमानी से राज्य की जनता परेशान, इनपर एंटी करप्शन एक्ट के तहत हो कार्रवाई
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फाइल फोटो 

झारखंड हाईकोर्ट ने भूमि विवाद के मामले में अधिकारियों पर तल्ख टिप्पणी की है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड हाईकोर्ट ने भूमि विवाद के मामले में अधिकारियों पर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार कानून के तहत कार्रवाई की बात कहते हुए मुख्य सचिव को जांच कर एक्शन लेने के लिए आदेशित किया है। जमाबंदी रद्द करने के मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य में सीआई और हल्का कर्मचारी ही सबकुछ चला रहे हैं। वरीय अधिकारियों को नियम-कानून से कोई लेना-देना नहीं है। वे सिर्फ सीआई और हल्का कर्मचारियों की रिपोर्ट पर भरोसा करते हैं।

कोर्ट ने आदेश में कहा है कि प्रतीत होता है कि सीओ, सीआई और हल्का कर्मचारियों की मनमानी से राज्य की जनता परेशान है। अदालत पर बेवजह मुकदमों का बोझ बढ़ रहा है। राज्य के राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच कर कार्रवाई की जानी चाहिए। हालांकि अदालत ऐसा आदेश पारित करने से स्वयं को रोक रही है। आदेश की प्रति इस प्रत्याशा में मुख्य सचिव और राजस्व सचिव को भेजी जा रही है कि वह अपने स्तर से इस मामले को देखें और नियमानुसार कार्रवाई करें। आदेश के साथ अदालत ने मामला निष्पादित कर दिया।
बता दें कि द कंसल्टेंट को-आपरेटिव सोसाइटी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। सुनवाई के दौरान कहा गया कि रांची जिले के सिमलिया मौजा में अलग-अलग समय में 11 एकड़ जमीन खरीदी गई थी। जमीन का दाखिल-खारिज भी हो गया और रसीद भी कट रही थी। अचानक वर्ष 2010 में राजस्व विभाग ने रसीद काटना बंद कर दिया। उपायुक्त ने गैर मजरूरआ मालिक (सरकारी जमीन) होने की बात कहते हुए जमाबंदी रद्द कर दी। इसका आधार सीआई और हल्का कर्मचारी की रिपोर्ट बताया गया है।
लंबे समय से चल रहे जमाबंदी को यह कहते हुए रद्द नहीं किया जा सकता है कि सीआइ और हल्का कर्मचारी ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी जमीन बताया गया है। सरकार ने कहा कि इस विवाद में प्रार्थी को सिविल सूट दाखिल करना चाहिए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने जमाबंदी रद्द करने के आदेश को खारिज कर दिया और रसीद जारी करने का निर्देश दिया है।
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