झारखंड

Ranchi : जेल में मोबाइल के इस्तेमाल पर लगेगी रोक, तभी संगठित अपराध पर लगेगी लगाम

Tara Tandi
24 Aug 2024 8:34 AM GMT
Ranchi : जेल में मोबाइल के इस्तेमाल पर लगेगी रोक, तभी संगठित अपराध पर लगेगी लगाम
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Ranchi रांची : झारखंड के जेल में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक के बाद ही संगठित अपराध पर लगाम लग पायेगी. पूरे झारखंड में 31 जेल हैं. जिनमें सात सेंट्रल, 17 जिला और छह अनुमंडल कारा है. एक ओपेन जेल हजारीबाग में है. इन जेल में कई छोटे बड़े अपराधी बंद है. जो जेल में रहकर कारोबारियों से रंगदारी मांगने का काम कर रहे हैं. जेल में बंद अपराधी रंगादारी नहीं देने पर हत्या जैसे घटनाओं को अंजाम भी दिला रहे हैं. समय-समय कई हत्या और रंगदारी मांगने की घटनाएं सामने आ चुकी है, जिसके कनेक्शन जेल से जुड़े थे. वहीं जेल में जाे जैमर लगे हैं, वाे 2जी नेटवर्क पर ही प्रभावी है. वहीं अपराधी 4जी और 5जी नेटवर्क का इस्तेमाल कर माेबाइल ऐप से व्यापारियाें और अपने गुर्गाें से लगातार संपर्क में हैं. जैमर को जब तक अपग्रेड नहीं किया जायेगा, तब तक इस पर लगाम नहीं लगेगा. कुछ दिन पहले एटीएस की टीम ने सिमडेगा जेल में छापेमारी कर अमन साहू गिरोह के अपराधी के पास से मोबाइल भी बरामद किया था.
सात आपराधिक गिरोह पुलिस के लिए चुनौती :
– अमन साहू गिरोह (जेल में) : रांची, लातेहार, रामगढ़ और हजारीबाग.
– प्रिंस खान गिरोह (फरार) : धनबाद, बोकारो.
– विकास तिवारी गिरोह (जेल में) : रामगढ़.
– अमन श्रीवास्तव गिरोह (जेल में) : रामगढ़, हजारीबाग.
– सुजीत सिन्हा गिरोह (जेल में) : लातेहार और पलामू.
– अखिलेश सिंह गिरोह (जेल में) : जमशेदपुर और सरायकेला.
– सुधीर दुबे गिरोह (जेल में) : जमशेदपुर और सरायकेला.
– डब्लू सिंह गिरोह (फरार) : पलामू.
जेल कर्मियों से इनकी होती है जबरदस्त सांठगांठ
सबसे हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि यह सभी गिरोह के लोग झारखंड के विभिन्न जेलों में बंद हैं. लेकिन जेल में बंद रहने के बावजूद इनके आतंक का सिक्का अभी भी चल रहा है. जेल के अंदर इन्हें वे तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो जेल के बाहर रहने पर भी मिलते हैं. समय-समय पर इन गैंगस्टर्स की जेल के अंदर से तस्वीरें और वीडियो भी वायरल होती है, जिनमें यह जेल में पार्टी करते हुए नजर आते हैं. दरअसल यह सब कुछ इसलिए हो रहा है, क्योंकि जेल कर्मियों से इनकी जबरदस्त सांठगांठ होती है. समय-समय पर जिला प्रशासन की तरफ से जेल के अंदर छापेमारी भी होती है, लेकिन उस समय कुछ भी नहीं मिलता है. क्योंकि प्रशासन की छापेमारी से पहले ही मोबाइल से लेकर तमाम तरह की वस्तुएं छिपा दी जाती है.
जैमर अपग्रेड से लगेगा ब्रेक
जब तक झारखंड के सभी जिलों में जैमर अपग्रेड का काम पूरा नहीं होगा, तब तक जेल के अंदर से अपराधियों के सल्तनत को खत्म कर पाना बेहद मुश्किल है. जेलों में सभी प्रकार के मोबाइल नेटवर्क को बंद करने के लिए अत्याधुनिक जैमर लगाने का काम अब तक फाइलों में ही सिमटा हुआ है. नतीजतन जेल के अंदर से ही कुख्यात अपराधी से लेकर छोटे-छोटे अपराधी जेल के बाहर अपने गुर्गो से घटनाओं को अंजाम दिलवा रहे हैं.
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