झारखंड

Ranchi: सेकेंडरी एग्रीकल्चर से ही किसानों का पलायन रुक सकता है , द्रौपदी मुर्मू

Tara Tandi
20 Sep 2024 8:30 AM GMT
Ranchi: सेकेंडरी एग्रीकल्चर से ही किसानों का पलायन रुक सकता है , द्रौपदी मुर्मू
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Ranchi रांची: नामकुम स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेंकेडरी एग्रीकल्चर गठन के शताब्दी वर्ष समारोह का आयोजन शुक्रवार को किया गया. इस कार्यक्रम में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल संतोष गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि राज्य मंत्री भगीरथी चौधरी, केंद्रीय रक्षा मंत्री संजय सेठ, कृषि मंत्री दीपिका सिंह पांडेय, निदेशक अभिजीत कर, हिमांशु पाठक, उपनिदेशक डा श्याम नारायण झा समेत कई गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया.
सेकेंडरी एग्रीकल्चर से ही किसानों का पलायन रूक सकता है : द्रौपदी मुर्मू
मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखंड से मेरा विशेष लगाव है. यह भगवान बिरसा मुंडा की धरती मेरे लिए तीर्थ स्थल है. अपने राज्यपाल के दौरान हमने यहां का भ्रमण किया. कई कार्य किए. मैं 2017 में इस संस्थान में यहां आ चुकी हैं. हमारे देश के कई राज्यों में लाह का उत्पादन होता है. भारत में लाह का उत्पादन मुख्य रूप से जनजातीय समुदाय के द्वारा किया जाता है. इस संस्थान में लाह के साथ-साथ कई लाह से जुड़े कई उत्पाद किए जा रहे हैं. यह भी गर्व की बात है कि झारखंड में इसका उत्पादन देश में 55 प्रतिशत है. कौशल विकास के लिए भी प्रशिक्षण आयोजन किया जाता है. एसएजी समुह की बहने बहुत मेहनती हैं. जो कृषि के साथ अन्य उत्पाद से जुडे हैं. महिलाएं सब्जी उत्पादन करके लाती हैं, मगर उसे फ्रिजिंग करके रखने की जरूरत है. ताकि सब्जियां खराब न हो. आज का दौर आधुनिक तकनीक का है. इसका इस्तेमाल करना है मगर इसके दुष्प्रभाव से बचना है. अभी भी अनेक क्षेत्र हैं जहां हम और आगे जा सकते हैं. लाह के उत्पादन, सप्लाई चैन और मार्केटिंग में सुधार किया जाए तो हम लाह की खेती में और आगे बढ़ सकते हैं. गांवों में कृषि आधारित भंडारण नीति बनायी जा रही है. अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी हमारी कृषि एवं उत्पाद कैसे आगे बढ़े, इसके लिए काम करने जरूरत है. मगर आज भी हमारे किसानों गरीबी में जीने को विवश हैं. इस दिशा में काम करने की जरूरत है. सेकेंडरी कृषि इसका विकल्प हो सकता है. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. और वे गांव में नहीं छोड़ेंगे. सेंकेंडरी कृषि उत्पाद हम बेहतर दिशा में बढ़ सकते हैं. वेस्टेज वस्तुओं को हम रीसाइकलिंग करके उपयोगी एवं मूल्यवान वस्तुएं बनाए जा सकते हैं. एक बदाम के छिलके से कैसे वे लाभान्वित हो सकते हैं. यह संस्थान लाह के साथ गम के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. इस संस्थान का लाभ अन्य संस्थानों को मिलना चाहिए. यह संस्थान प्रशिक्षण के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रहे हैं.
हमारे प्रधानमंत्री किसानों के लिए कई काम कर रहे हैं : राज्यपाल
राज्यपाल संतोष गंगवार ने कहा कि राष्ट्रपति का राज्यपाल रहने के दौरान कस्तुरबा गांधी विद्यालय का भ्रमण का असर वहां दिख रही हैं. मेरा प्रयास रहता है कि कोई भी व्यक्ति केंद्र और राज्य कही योजनाओं से वंचित न रह जाए. आज हम सभी के लिए गर्व की बात है कि इसके शताब्दी समारोह में हिस्सा ले रहे हैं. इन सौ वर्षों में अनेकों उपलब्धियां हासिल की. यह प्रसन्नता की बात है कि हमारा यह संस्थान लाह उत्पादन में अव्वल है. हम किसानों के आय को बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है. हमारे देश के प्रधानमंत्री करोड़पति बनाने की दिशा में ही काम कर रहे हैं. कई योजनाएं किसानों के लिए चला रहे हैं. किसान क्रेडिट कार्ड किसानों के लिए बुहत लाभकारी साबित हो रहा है. हम कृषि का आधुनिक बनाने का काम करेंगे.
हमारे किसान खेतीहर मजदूर बनने को विवश हैं, इस पर केंद्र और राज्य को मिलकर सोचने की जरूरत : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी विगत छह वर्षों तक राज्य का मागदर्शन किया. अब देश को मार्गदर्शन करने का काम रही हैं. हम किसानों के लिए बातें बहुत बड़ी बड़ी करते हैं. आज हम लाह की खेती 50-55 नहीं बल्कि 70 प्रतिशत करते थे.हमारे दीदियों लखपति क्यों, करोड़पति क्यों नहीं बन सकती हैं. बन सकती है बशर्ते किसानों की नीति-निर्धारण हो. ऐसा सिस्टम हो जहां बिचौलियों को कोई जगह नही हो. आज बिचौलियों का जमात इतना शक्तिशाली हो चुका है कि आपके मेहनत की गाढ़ी कमाई ले जाता है. सदियों से किसानों को सरआंखो पर रखा. आगे भी हम इन्हें रख पाएं. ग्रामीणों का परिवर्तन गांव में जाकर देखें. आज मौसम बदलाव की ओर है. कहीं सुखा, कहीं बाढ़. आज किसान हमारे खेतीहर मजदूर बनने की ओर अग्रसर है. इस पर केंद्र और राज्य दोनों को मिलकर सोचने की जरूरत है. मौसमी फसल के अलावे वैक्लिप खेती की ओर कैसे आगे बढ़े. हमने लाह को खेती का दर्जा दे दिया है. आज के इस भौतिकवादी युग में जीवित रखना. कैसे कृषि के साथ-साथ पशुपालन की दिशा में आगे बढ़ाएं.
रांची को कृषि शिक्षा एवं शोध का प्रमुख केंद्र और न्यूनत्तम उत्पादन मूल्य बढ़ाने का प्रयास करेंगे : शिवराज सिंह चौहान
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारे राष्ट्रपति का झारखंड से पहले से ही लगाव रहा है. वे राज्यपाल रहते हुए कई काम झारखंड के लिए किया है. कृषि बनने के बाद मैं झारखंड आया था. यह पहला संस्थान था जहां मैं यहां विजिट किया था. तब मैं किसी होटल में नहीं यहीं ठहरा था. जहां मैने सारी चीजों जानकारी ली. लाह का इतिहास भारत के इतिहास जैसा पुराना है. कौरवों ने पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह बनाया था. प्रधानमंत्री किसानों की आय दुगुनी करना चाहते हैं. कृषि में उत्पादन बढ़ाना, घाटा कम करने, केवल धान, गेंहू से काम नहीं चलेगा. हमें दुसरे खेती में जाना होगा. आज भी हम लाह में 400 करोड़ का निर्यात करते हैं. आज ऐसी महिलाएं है जो लाख-लाख रूपए कमा रही हैं. हमारी आय बढ़ाने के लिए लाह अहम है. पलास्टिक से बचने के लिए भी इसका उत्पादन जरूरी है. लाह की खेती हमारे बहनें और बहने कर सकते हैं. हमाारे प्रधानमंत्री का सपना है, इसलिए लखपति दीदी योजना बनायी. लाह के माध्यम से भी लखपति दीदी बनायी जा सकती है. हमारा लक्ष्य है कि लाह का उत्पादन दुगुनी हो जाए. यह वनोत्पाद है. इसलिए कृषि विभाग के अधीन में आता है. मेरा प्रयास होगा कि लाह का खेती कृषि विभाग के तहत आ जाए. ताकि कृषि विभाग का योजनाओं का लाभ इस खेती को मिल सके. कलस्टर आधारित प्रोसेसिंग का प्रयास करेंगे. न्यूनत्तम मूल्य भी बढ़ाने का प्रयास करेंगे. जितनी लागत आता है, उसमें 50 प्रतिशत जोड़कर ही न्यूनत्तम प्रोडक्शन मूल्य दिया जाएगा. इस साल से 1500 से नहीं 5 हजार किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. रांची को कृषि शिक्षा एवं शोध का प्रमुख केंद्र बनाएंगे.
40 लाख आदिवासी परिवार लाह की खेती से जुड़कर आर्थिक सबल बन रहे हैं : कृषि राज्य मंत्री
इस मौके पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भगीरथ चौधरी ने कहा कि हर क्षेत्र में अन्नदाता रात-दिन मेहनत करता है. जब अन्नदाता के घर में खुशहाली आता है तब हमें खुशी होती है. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों में खुशी लाने के लिए दिन-रात लगे हुए हैं. चाहे एमएसपी बढ़ाने का मसला हो या फिर आय दुगुनी करने का. हमारे प्रधानमंत्री इसमें लगे हुए हैं. यह गौरव की बात है कि यह संस्थान शताब्दी वर्ष मना रहा है. पहले यह लाह संस्थान ही था. मगर हमारे प्रधानमंत्री इस संस्थान को और आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं. लाह का पेड़ कार्बन डाईअक्साईड को कम करता है. आदिवासी बहुल क्षेत्र में लाह की खेती भरण-पोषण करते हैं. करीब 40 लाख परिवार इस खेती से जुड़े हैं.
लाह खेती से हमने बिचौलिए को खत्म किया : संजय सेठ
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा कि किसी भी संस्था का सौ साल होना. इस पावर अवसर पर भारत की राष्ट्रपति का शामिल होना, गौरव की बात है. यह किसानों को हौसला देना है. प्रकृति ने हमें हरा-भरा संपदा दिया. लाह पलास्टिक का विकल्प है. यह गौरव की बात है कि देश का 55 प्रतिशत लाह की खेती झारखंड में होता है. 400 करोड़ का एक्सपोर्ट होता है. लाह पहले 100 में बिकता था, वही लाह बड़े-बड़े व्यापरी उसे 700, 800 रूपए में बेचता है. हमने खादी बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए बिचौलियो को खत्म किया. लाह से हम लखपतिया दीदी बना रहे हैं. पत्तल में लाह का कोटिक कर दिया जाए तो वह नुकसान देह नहीं होगा.
देश में कुल उत्पादन का 55 प्रतिशत लाह का उत्पान झारखंड से होता है : महानिदेशक
संस्थान महानिदेशक हिमांशु पाठक ने कहा कि देश में कुल लाह उत्पादन का 55 प्रतिशत झारखंड से होता है. इसके बाद ही अन्य राज्य का योगदान है. इस संस्थान से 10 लाख से अधिक किसानों ने प्रशिक्षण लिया और अपना आय बढ़ाया. लाह के उत्पादन में हमारा देश नंबर वन है. हमारा संस्थान सेंकेडरी कृषि को बढ़ावा दे रहा है. 27 में यह देश न केवल विकाशील बल्कि विकसित देश रहेगा. इसमें हमारे संस्थान को जो सहयोग रहेगा, जरूर करेगा. निदेशक डा. श्याम नारायण झा ने कहा कि इस संस्थान को चिरंजीवी बनाने में सभी के सहयोग की जरूरत है. समय-समय पर इस संस्थान का नाम बदला गया. कुल चार बार इस संस्थान का नाम बदला गया है. जिसका मुख्य कारण रहा इसके जरिए कृषि में उत्तोतर विकास.
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