झारखंड

नशा छुड़ाने को लगानी पड़ रही रांची दौड़, प्रभारी डॉक्टर के सहारे चल रहा विभाग

Admin Delhi 1
9 May 2023 2:01 PM GMT
नशा छुड़ाने को लगानी पड़ रही रांची दौड़, प्रभारी डॉक्टर के सहारे चल रहा विभाग
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धनबाद न्यूज़: नशा से मुक्ति चाहनेवालों को रांची की दौड़ लगानी पड़ रही है. एसएनएमएमसीएच में संचालित जिले के एक मात्र सरकारी नशा विमुक्ति केंद्र में बीते पांच वर्षों से ट्रेंड डॉक्टर नहीं है. यह प्रभार में चल रहा है. नतीजतन, मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. लोग यहां आने की बजाए रांची जाकर इलाज करा रहे हैं. स्थिति यह है कि केंद्र में रजिस्टर्ड 250 मरीजों में अब सिर्फ 65 यहां से रेगुलर दवा ले रहे हैं. बाकी ने यहां आना छोड़ दिया है.

रेलवे स्टेशन रोड निवासी राजीव कुमार (बदला हुआ नाम) कहते हैं कि 2013 से नशा मुक्ति के लिए दवा खा रहा हूं. एसएनएमएमसीएच से ही दवा शुरू की. तब वहां डॉ विकास राणा थे. कुछ दिन बाद वे चले गए. इसके बाद वहां इलाज के लिए मेडिसिन विभाग में भेजा जाने लगा, जहां ठीक से इलाज नहीं हो पाता था. परेशानी भी होती थी. कुछ मरीजों से पता चला कि वे रांची जाकर इलाज करा रहे हैं. तब से रांची ही जा रहा हूं. वहीं से दवा लेता हूं. राजीव की तरह दर्जनों मरीज नशे से मुक्ति के लिए रांची की भागमभाग में लगे हैं.

प्रभारी के सहारे मरीज सेंटर प्रभारी डॉक्टर के सहारे नशा विमुक्ति केंद्र चल रहा है. स्थायी डॉक्टर नहीं मिलने के कारण मेडिसिन के मेडिकल ऑफिसर डॉ विभूति नारायण को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. उन्हें मेडिसिन में भी ड्यूटी करनी होती है. नतीजतन, यहां के मरीजों को भी मेडिसिन विभाग में ही जाकर इलाज करना होता है.

2018 के बाद से नहीं मिला डॉक्टर: एसएनएमएमसीएच में नशा विमुक्ति केंद्र को 2018 से स्थायी डॉक्टर नहीं मिला. दिसंबर-2014 में केंद्र की स्थापना हुई थी. डॉ विकास राणा नोडल ऑफिसर थे. उन्हें नशा के आदी लोगों के इलाज का प्रशिक्षण दिया गया था. इनके साथ काउंसलर देवर दयाल सोनी, डेटा मैनेजर रवि कुमार और एएनएम आरती कुमारी यहां काम करते थे. 2018 में डॉ राणा ने केंद्र छोड़ दिया. तब से केंद्र को स्थायी डॉक्टर नहीं मिला है.

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