![Ranchi : वित्त मंत्री ने राज्यपाल से की मुलाकात Ranchi : वित्त मंत्री ने राज्यपाल से की मुलाकात](https://jantaserishta.com/h-upload/2025/02/13/4383653-9.webp)
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Ranchi रांची : वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने गुरुवार को राजभवन में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने राज्यपाल को नीलांबर-पीतांबर विश्विद्यालय के भवन निर्माण में हुई अनियमितताओं से अवगत कराया. इस पर राज्यपाल ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए तीन सदस्यीय कमेटी से जांच कराने की बात कही. समिति पूरे भवन का निरिक्षण कर राज्यपाल को रिर्पोट सौंपेगी.
125 करोड़ की लागत से हुआ है भवन का निर्माण
वित्त मंत्री द्वारा राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में कहा है कि लगभग 125 करोड़ रुपये की लागत से नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के भवन निर्माण किया गया है. इसमें निर्माण में बरती गयी अनियमितताओं की शिकायत कई छात्र संगठन ने की थी. उनके शिकायत पर 11 फरवरी को विश्वविद्यालय के निर्मित भवन को देखने गया था.
मैंने पाया कि विश्वविद्यालय के प्रशासनिक तथा एकेडमिक भवन में लगाये गये खिड़की-दरवाजे की गुणवत्ता संभवतः तय मानकों के अनुरूप नहीं है. एकेडमिक भवन के खिड़कियों में ग्रिल नहीं लगाया गया है. परिणाम स्वरूप सुरक्षा खतरों से इनकार नहीं किया जा सकता है.
मेरे विश्वविद्यालय के निरीक्षण के क्रम में कुलसचिव शैलेश कुमार मिश्रा भी मौजूद थे. उन्होंने मुझे बताया कि निर्मित भवनों में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है. कुलसचिव ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा प्रशासनिक और एकेडमिक भवन को हस्तगत कर लिया गया है. एकेडमिक भवन में पेयजल की सुविधा नहीं याने के कारण सभी कक्षाओं का अध्ययन कार्य नहीं हो रहा है.
वहीं छात्र संगठन से जुड़े कुछ लोगों ने मुझे यह भी बताया कि निर्मित भवन की दीवार में हल्की दरारे भी आ गयी है. शंका उत्पत्र करने वाली बात यह है कि बिना पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराये, भवन में लगाये गये दरवाजा खिड़की में घटिया सामग्री तथा प्राक्कलन में उल्लेखित कार्यों का सत्यापन किए बिना कुलसचिव श्री मिश्रा के द्वारा भवन का हैंडओवर क्यों लिया गया? भवनों के निर्माण में करीब 350 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आने वाला है.
जानकारी मिली है कि लीलांबर पीतांवर विश्वविद्यालय के भवनों के निर्माण में करीब 350 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आने वाला है. भवनों तथा आवास इत्यादि के निर्माण के पूर्व पेयजल की उपलब्धता सुनिक्षित किए बिना इतने विशाल भवन के निर्माण का क्या औचित्य था? यह तो जांच के उपरांत ही पता चलेगा कि विश्वविद्यालय का निर्माण मानक के अनुरूप किया गया है या नहीं?
परंतु जिस तरह विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री शैलेमा कुमार मिश्रा के द्वारा आनन-फानन में भवन को हैंडओवर कर लिया गया. उनके इस कृत्य से उनकी भूमिका संदेहास्पद प्रतीत होती है. मेरे दृष्टिकोण से नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के निर्मित भवनों की गुणवत्ता की जांच कराना आवश्यक है.
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Tara Tandi
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