झारखंड
Ranchi : सीएम हेमंत का पीएम मोदी को पत्र, 1.36 लाख करोड़ बकाया राशि दिलाने की मांग
Tara Tandi
25 Sep 2024 7:38 AM GMT
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Ranchi रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने अपने पत्र में केंद्रीय कोल कंपनियों पर झारखंड का 1.36 लाख करोड़ बकाया राशि दिलाने मांग की है. सीएम हेमंत सोरेन ने बकाया राशि का भुगतान करने के लिए पीएम मोदी को दो विकल्प दिया है. पहला जब तक बकाया राशि का भुगतान किस्तों में नहीं हो जाता, तब तक कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों को ब्याज राशि का भुगतान करना शुरू किया जाये. वहीं दूसरा भारतीय रिजर्व बैंक में कोल इंडिया के खाते में जमा राशि से झारखंड राज्य को सीधे डेबिट कराया जाये. जैसा कि झारखंड राज्य बिजली बोर्ड के साथ डीवीसी के बकाया मामले में किया गया था.
बकाया मिलने से गरीबी से लड़ने और लोगों के जीवन स्तर सुधारने में मदद मिलेगी
सीएम सोरेन ने अपने पत्र में लिखा है कि बकाया का भुगतान जल्द शुरू कराया जाये, ताकि झारखंड के लोगों को परेशानी न हो. वहीं इस गरीब आदिवासी राज्य की बेहतरी के लिए राज्य सरकार सामाजिक और आर्थिक परियोजनाओं की संख्या और गति बढ़ा सके. यदि कोयला कंपनियों द्वारा राज्य के वैध बकाया का समय पर भुगतान कर दिया जाता है, तो झारखंड के लोग सामाजिक क्षेत्र की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं. ऐसा होने पर गरीबी से लड़ने और राज्य के लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा करने में मदद मिलेगी.
पत्र में सोरेन से रॉयल्टी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाल दिया
पत्र में हेमंत सोरेन ने खनन रॉयल्टी पर सुप्रीम कोर्ट के पिछले दिनों के एक फैसले का हवाला भी दिया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि राज्यों को खनिज युक्त जमीन पर रॉयल्टी के लिए पिछला बकाया वसूलने का अधिकार है. बकाया के संबंध में कानून में प्रावधान और न्यायिक आदेशों के बावजूद कोयला कंपनियां कोई भुगतान नहीं कर रही है. जिसके कारण झारखंड को भारी नुकसान हुआ है. लंबित मांगों का सवाल विभिन्न मंचों, प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और अन्य मंचों पर उठाये जाने के बावजूद हमें अभी तक भुगतान मिलना शुरू नहीं हुआ है. अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है.
”जो हमारे द्वारा देय हैं” और ”जो हमें देय है” की नीति में विरोधाभास -मनमानी
हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड एक अविकसित राज्य है और यहां सामाजिक आर्थिक परिस्थितियां बहुत खराब है. बकाया का भुगतान नहीं होने के कारण राज्य की जनता की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है. हमारी न्यायोचित मांगों का कोई समाधान नहीं हो पाया है. परिणामस्वरूप सबसे समृद्ध खनिज संपन्न राज्य को बहुत कम आय हो रही है. राज्य को भारी नुकसान हुआ है. आखिरी गांव के अंतिम व्यक्ति तक सामाजिक-आर्थिक सुधारों, सड़क-इंफ्रास्टक्चर और नीतियों को पहुंचाने में कठिनाई हो रही है. दूसरी तरफ खनिजों का दोहन कर कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं. जब झारखंड की बिजली कंपनी के स्तर से डीवीसी को बकाया राशि के भुगतान में थोड़ी देरी हुई थी, तब झारखंड के आरबीआई खाते से 12 प्रतिशत की दर से ब्याज वसूला गया. सीएम ने कहा कि बकाया भुगतान की नीति में अंतर है और यह अंतर बकाया ”जो हमारे द्वारा देय हैं” और ”जो हमें देय है” में एक विरोधाभास को दर्शाता है. यह मनमानी है, जो राज्य को बहुत ही वंचित स्थिति में डालता है.
किस्तों में बकाया भुगतान शुरू होने तक हर माह 1100 करोड़ ब्याज दें
सीएम ने कहा है कि अगर कानून हमें राजस्व एकत्र करने की अनुमति देता है, तो इसे राज्य को भुगतान किया जाना चाहिए. कोल कंपनियों के बकाया पर 4.5 फीसदी की दर से साधारण ब्याज की गणना करने पर राज्य को देय ब्याज राशि 510 करोड़ रुपये प्रति माह होगी. यदि डीवीसी बकाया के संबंध में झारखंड राज्य से वसूले गये ब्याज के मामले में समानता के आधार पर चलते हैं, तो ब्याज 1100 करोड़ रुपये प्रति माह हो जाता है.
मार्च 2022 में भी सीएम लिख चुके हैं पत्र
सीएम हेमंत ने पीएम को पत्र लिख कर कहा है कि झारखंड में कार्यरत कोयला कंपनियों पर झारखंड का मार्च 2022 तक 1,36,042 करोड़ रुपये का बड़ा बकाया है. मार्च 2022 में भी सीएम ने केंद्र सरकार को बकाया राशि कोल कंपनियों से दिलाने के लिए पत्र लिखा था.
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Tara Tandi
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