झारखंड

Ranchi: ऑटो चालकों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी, 30 अगस्त को होगी सीएम से वार्ता

Tara Tandi
29 Aug 2024 8:24 AM GMT
Ranchi: ऑटो चालकों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी, 30 अगस्त को होगी सीएम से वार्ता
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Ranchi रांची : राजधानी के 20 किमी के दायरे में ऑटो चलाने के नियम में बदलाव के विरोध में ऑटो और ई-रिक्शा चालकों की बेमियादी हड़ताल तीन दिन भी जारी है. ऑटो चालकों के हड़ताल पर जाने से यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच खबर आ रही है कि सीएम ने ऑटो चालकों को 30 अगस्त को वार्ता के लिए बुलाया है. झारखंड प्रदेश सीएनजी ऑटो चालक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश सोनी, ऑटो चालक यूनियन के अध्यक्ष अर्जुन यादव, ई-रिक्शा चालक यूनियन के संरक्षक उतम यादव सहित अन्य शुक्रवार को बात करने के लिए सीएम कार्यालय जायेंगे. इस बात की जानकारी संरक्षक उतम यादव ने दी है.
17 हजार ई-रिक्शा और ऑटो चालक की बेमियादी हड़ताल जारी
बता दें कि रांची में पांच हजार ई-रिक्शा, 10 हजार सीएनजी ऑटो और दो हजार डीजल ऑटो चलते हैं. जो पिछले तीन दिनों से ऑटो चलाने के नियम में बदलाव के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. हजारों ऑटो चालक अपनी मांग को लेकर रातु रोड स्थित ऑटो स्टैंड पर प्रदर्शन कर रहे हैं. ऑटो चालकों का कहना है कि ऑटो चालकों की तीन दिनों की हड़ताल पर जाने से लगभग डेढ़ लाख परिवार के घर पर चूल्हा नहीं जला है. कहा कि 30 अगस्त (शुक्रवार) को सीएम से वार्तालाप के बुलाया गया है. कहा कि अगर हमारी मांगें पूरी हुई तो हड़ताल खत्म कर देंगे. अगर बात नहीं बनी तो ट्रैफिक एसपी के कार्यालय में सभी ऑटो चालक जायेंगे और गाड़ी की चाभी सौंपेंगे. ऑटो चालकों का कहना है कि कि राज्य के विधायकों और सांसदों ने ऑटो चालकों का साथ नहीं दिया.
20 किमी की परिधि में ऑटो चलाने के नियम में बदलाव
दरअसल रांची की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए शहर के 20 किमी की परिधि में ऑटो चलाने के नियम में बदलाव किया गया है. ट्रैफिकपुलिस ने चार जोन में ऑटो परिचालन का रूट बांट कर 3-3 किमी का दायरा बना दिया है. जिसके विरोध में ऑटो और ई-रिक्शा चालक मंगलवार (27 अगस्त) से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं. इन ऑटो चालकों के हड़ताल पर चले जाने से यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों को आने-जाने में दिक्कत हो रही है. कई लोग तो पैदल ही अपने गंतव्य की ओर जा रहे हैं. जबकि कुछ लोग ओला, रैपिडो आदि का सहारा ले रहे हैं.
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