राँची न्यूज़: सरकारी धन का दुरुपयोग मामले में दोषी बर्खास्त इंजीनियर राम बिनोद प्रसाद सिन्हा को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मिथिलेश कुमार सिंह की अदालत ने सात साल कैद की सजा सुनाई है. साथ ही एक करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.
रांची सिविल कोर्ट में दोषी अभियुक्त की सजा बढ़ाने के लिए न्यायिक दंडाधिकारी (जेएम) की अदालत ने सीजेएम रिकॉर्ड स्थानांतरित किया था. जेएम कोर्ट ने कहा था कि दोषी को और अधिक कठोर सजा की जरूरत है. इसके बाद सजा बढ़ाने के बिंदु पर लगभग दो महीने तक सीजेएम कोर्ट में सुनवाई हुई.
सीजेएम कोर्ट ने मामले में अपनी न्यायिक शक्ति का उपयोग करते हुए अधिकतम सात साल की सजा सुनाई. सीजेएम कोर्ट को अधिकतम सात साल तक की सजा सुनाने की शक्ति है. जानकारी हो कि राम बिनोद सिन्हा मनी लाउंड्रिंग के आरोप में पिछले ढाई साल से अधिक समय से जेल में है.
सरकारी धन का दुरुपयोग मामले में दोषी बर्खास्त इंजीनियर राम बिनोद प्रसाद सिन्हा पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगा
सरकारी राशि 1.76 करोड़ रुपये के गबन के 12 साल पुराने मामले में राम बिनोद प्रसाद सिन्हा को प्रथम श्रेणी की न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने दोषी पाया. लेकिन अदालत ने पाया कि अभियुक्त को तीन साल से अधिक कठोर सजा दी जानी चाहिए. चूंकि प्रथम श्रेणी की न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत केवल तीन साल की सजा देने का अधिकार रखती है. जबकि अभियुक्त को धारा 409 में दोषी पाया गया. इसमें अधिकतम सजा आजीवन कारावास है. तब न्यायिक दंडाधिकारी धृति धैर्या की अदालत ने सीआरपीसी की धारा 325 के तहत प्रावधान शक्तियों का प्रयोग करते हुए आगे की सुनवाई के लिए रिकॉर्ड सीजेएम कोर्ट में स्थानांतरित किया.