झारखंड

राजभवन ने दिया झटका, इसकी वजह से हो रही सरकार की बार-बार किरकिरी, हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण में थीं विसंगतियां

Gulabi Jagat
17 May 2022 4:22 PM GMT
राजभवन ने दिया झटका, इसकी वजह से हो रही सरकार की बार-बार किरकिरी, हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण में थीं विसंगतियां
x
राजभवन ने दिया सरकार को झटका
रांची: राजभवन ने झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2022 को वापस लौटा दिया है. इसकी वजह है विधेयक के हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण की विसंगतियां. अब सरकार को इन गलतियों को सुधरवाकर दोबारा प्रिंट करवाना होगा. इसके बाद विधानसभा से पारित कराकर भेजना होगा. अधिकारियों की लापरवाही के कारण एक बार फिर सरकार की फजीहत हुई है. यह वही विधेयक है जिसकी वजह से राज्य के थोक व्यापारी आंदोलन कर रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक की वजह से दो प्रतिशत तक मंडी शुल्क में इजाफा हो जाएगा. इसका सीधा असर खाद्य पदार्थों की कीमत पर पड़ेगा. राजभवन ने विधेयक की अंग्रेजी और हिंदी प्रिंटिंग में दस जगह विसंगतियां पाईं हैं. जैसे सेक्शन 20 (1) के अग्रेजी वर्जन में सब क्लॉज A. B. C. प्रिंट है जिसका हिंदी वर्जन क. ख. ग. की जगह I. II. III. लिखा हुआ है.
राज्य में छह मंडियां हैं. इसके तहत रांची में दो और धनबाद, बोकारो, रामगढ़ एवं देवघर में एक-एक मंडी है. झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से व्यापारिक संगठन अप्रैल माह से ही इस प्रस्तावित बाजार शुल्क का विरोध कर रहे हैं. व्यापारियों ने दावा किया कि प्रस्तावित शुल्क से उपभोक्ता उत्पादों के दाम बढ़ेंगे और लोगों पर बोझ बढ़ेगा.
इस मामले में पिछले दिनों झारखंड राज्य कृषि विपणन बोर्ड के एमडी मनोज कुमार ने बताया था कि नये नियम के प्रभाव में आ जाने पर जल्द नष्ट नहीं होने वाले जिंसों पर दो फीसदी और जल्द नष्ट हो जाने वाले जिंसों पर एक प्रतिशत बाजार शुल्क लगाने का प्रावधान है. कृषि बाजार शुल्क लगाने का नियम केंद्र ने लागू किया है और झारखंड सरकार ने महज उसे अपनाया है. उन्होंने कहा था कि विभिन्न राज्यों का अलग-अलग बाजार शुल्क ढांचा है. इस शुल्क का लक्ष्य राज्य में मंडियों के बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाना एवं उसमें सुधार करना है. लेकिन व्यापारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं.
इससे पहले भी लौटाए जा चुके हैं तीन बिल: इस साल यह चौथा बिल है जिसके कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जताते हुए राजभवन ने लौटाया है. अप्रैल महीने में भारतीय मुद्रांक शुल्क अधिनियम में संशोधन विधेयक 2021 को राजभवन ने सरकार को लौटा दिया था. जिसमें भाषाई कई त्रुटियां बताई गई थी. इससे पहले फरवरी माह में राजभवन ने ट्राइबल यूनिवर्सिटी बिल को वापस किया था. इस बिल के हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण में कई त्रुटियां थीं. जनजातीय भाषा और संस्कृति को संरक्षण और शोध के मद्देनजर सीएम ने इस दिशा में कदम बढ़ाया था. लेकिन अधिकारियों के कारण मामला लटक गया. यही हाल झारखंड भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक के साथ हुआ. इसमें भी हिन्दी और अंग्रेजी प्रारूप में कई गड़बडियों के साथ-साथ भीड़ की परिभाषा पर सवाल उठाते हुए राजभवन ने लौटा दिया था. अब चारों बिल की त्रुटियों को सुधाकर विधानसभा से पास कराने के बाद राजभवन भेजना होगा, जो मॉनसून सत्र में ही संभव हो पाएगा.
Next Story