झारखंड
8 जिले, 32 ठिकानों पर एक साथ रेड, शराब घोटाले पर इडी की दबिश की वजह
Manish Sahu
23 Aug 2023 2:32 PM GMT
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झारखंड: झारखंड में शराब घोटाले को लेकर बुधवार को ईडी ने दबिश दी. ईडी ने राजधानी रांची समेत 8 जिलों के 32 ठिकानों पर छापेमारी की. बुधवार को रांची, दुमका, गिरिडीह, गोड्डा, जामताड़ा, देवघर, धनबाद और हजारीबाग में कल 32 ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की. अवैध शराब की बिक्री और शराब नीति पर लगातार सवाल उठने के बाद अब ईडी ने इस मामले में अपनी दबिश और जांच का दायरा बढ़ा दिया है. वर्तमान में झारखंड में जिस शराब नीति के तहत शराब बेची जा रही है वह भी जांच के दायरे में है.
इस मामले में पूर्व में भी ईडी की ओर से विभाग के वरीय अधिकारियों से पूछताछ की जा चुकी है. दरअसल शराब घोटाले को लेकर की जा रही इस कार्रवाई के पीछे कुछ वजहों को समझना बेहद जरूरी है. 2022-23 नीति के तहत ही वर्तमान में झारखंड में नई शराब नीति चल रही है लेकिन इसकी नियमावली को भी सही तरीके से फॉलो नहीं किया जा रहा. इससे पहले 14-07-2021 से झारखंड में 19 जिलों में शराब बेचने का काम संथाल सिंडिकेट में संभाल रखी थी, जिसमें योगेंद्र तिवारी का वर्चस्व था.
मई 2022-23 से छत्तीसगढ़ की एजेंसी को होलसेल और रिटेल दोनों व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गयी. छत्तीसगढ़ की एजेंसी के समय शराब से रेवेन्यू का लक्ष्य 2300 करोड़ रुपए रखा गया था लेकिन लक्ष्य से कम 1800 करोड रुपए राजस्व प्राप्ति की बात सामने आई थी. छत्तीसगढ़ की एजेंसी को जिम्मेदारी देने से पहले लॉटरी सिस्टम लागू था. इसमें होलसेल की जिम्मेदारी तिवारी ग्रुप और पीपी (प्रेम प्रकाश) एंड कंपनी की थी.
होलोग्राम पर उठ रहे हैं सवाल, क्योंकि होलोग्राम के माध्यम से ही शराब के बोतल की ट्रैक की जा सकती है. होलोग्राम बनाने की जिम्मेदारी नोएडा की प्रिज्म कंपनी को दी गई थी लेकिन आरोप लग रहा है कि कंपनी ने होलोग्राम की सेम सीरीज की डबल प्रिंट निकाली थी. वर्तमान में राज्य में सरकार खुद शराब बेच रही है, जिसमें 12 जिलों में शराब बेचने की जिम्मेदारी प्लेसमेंट एजेंसी की है जबकि 12 जिलों में सरकार खुद जिम्मेदारी संभाल रही है. 12 जिलों में शराब बेचने की जिम्मेदारी तीन प्लेसमेंट एजेंसी को दी गई है जिसका नाम फ्रंटलाइन, जीडी एक्स और विजन कंपनी है.
जानकारी के मुताबिक शराब घोटाले से जुड़े जितने भी अकाउंट सामने आए हैं उसमें ज्यादातर खाते मिहिजाम और जामताड़ा में खोले गए हैं. दरअसल चर्चा इस बात को लेकर ज्यादा थी कि पुरानी शराब नीति में भी संथाल के शराब कारोबारियों का ही कब्जा और बोलबाला ज्यादा रहा है. राज्य के ज्यादातर जिलों में शराब बेचने का काम गोड्डा, देवघर, दुमका और जामताड़ा के कारोबारियों के हिस्से में रहा है. इसका खुलासा भी कारोबारियों से मिले बैंक डिटेल से हुआ था.
Manish Sahu
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