जमशेदपुर न्यूज़: रांची विश्वविद्यालय (आरयू) के कुलपति अजीत कुमार सिन्हा की कुलपति पद के लिए योग्यता पर सवाल उठाते हुए झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता राजीव कुमार ने राज्यपाल के प्रधान सचिव को पत्र लिखा है. उन्होंने डॉ सिन्हा के कुलपति पद की योग्यता नहीं रखने से जुड़े साक्ष्य पेश कर प्रधान सचिव से स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया है.
उन्होंने कहा कि उपलब्ध साक्ष्यों व इस संबंध में आई खबरों पर अब तक कुलपति द्वारा अपने पक्ष में ठोस आधार जारी नहीं करना इसे संवेदनशील बनाता है. साथ ही, यदि डॉ सिन्हा सुप्रीम कोर्ट की ओर से 2019 में पारित आदेश के अनुसार नियुक्त किए गए हैं तो इसकी जानकारी आमजनों के लिए जारी होनी चाहिए.
पूर्व में एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष इंद्रजीत ने सीएम को पत्र लिखकर डॉ अजीत की योग्यता की जांच की मांग की थी. इसका हवाला देते हुए राजीव कुमार ने राज्यपाल के प्रधान सचिव से अनुरोध किया है कि यदि डॉ सिन्हा की कुलपति पद पर नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट से पारित आदेश और झारखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 2000 की धारा-10 के प्रावधान का अनुपालन हुआ है तो उससे संबंधित साक्ष्य छात्रों व विश्वश्वद्यालय हित में जारी किया जाए.
आरयू सहित अन्य विश्वविद्यालयों में कुलपति के रिक्त पद के लिए 23 फरवरी 2018 को विज्ञापन जारी किया गया था. आरोप लगाया गया है कि डॉ अजीत सिन्हा को साइंटिस्ट डी के रूप में सरकार की ओर से निर्धारित अधिकतम वेतनमान 15600-39100, पे बैंड, ग्रेड पे 8700 प्राप्त हैं. सेवानिवृत्ति के समय उनका स्वप्रमाणित अधिकतम वेतनमान लेवल-13 तक ही रहा. प्रोफेसर के लिए तय वेतनमान लेवल-14 का कार्यानुभव उन्हें नहीं रहा. जबकि कुलपति पद के लिए जारी विज्ञापन में यह निर्धारित है कि 10 साल का प्रोफेसर या समतुल्य पद कार्यानुभव होना चाहिए. डॉ सिन्हा सेंट्रल तसर रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर रांची में करीब दो वर्ष पांच माह तक निदेशक पद पर रहे. वहां से 60 साल की उम्र में 31 अगस्त 2018 में सेवानिवृत्त हुए. निदेशक पद का अधिकतम वेतनमान भी प्रोफेसर के निर्धारित वेतनमान के बराबर नहीं होता है क
यह आरोप भी लगाया कि डॉ अजीत सिन्हा आरयू से 1981 में जूलॉजी में 50.5 अंक के साथ एमएससी किया. जिसके तहत व्याख्याता पद पर नियुक्ति के लिए भी निर्धारित योग्यता नहीं रखते हैं.