धनबाद न्यूज़: ईस्टर्न कोल फील्ड (ईसीएल) का झारखंड स्थित राजमहल कोयला क्षेत्र के कारण उत्पादन ग्राफ गिरता जा रहा है. फरवरी में राजमहल की उपलब्धि महज 32.55 मिलियन टन रही. कोल इंडिया की टॉप 37 कोयला खदानों में राजमहल सबसे नीचे है. राजमहल कोयला क्षेत्र को चालू वित्तीय वर्ष में 16 मिलियन टन का लक्ष्य मिला है. फरवरी तक 13.60 मिलियन टन उत्पादन की जगह मात्र 4.43 मिलियन टन तक ही राजमहल कोयला क्षेत्र सीमित है. यह खुलासा कोल इंडिया एवं अनुषंगी कंपनियों की जारी स्टैटिकल रिपोर्ट हुआ है. फरवरी महीने में कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों को 71.23 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य था.
लक्ष्य के मुकाबले 68.78 मिलियन टन कोयला उज्पादन हुआ, जो लक्ष्य का 96.56 प्रतिशत है. कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों को फरवरी माह में प्रतिदिन 335 रैक कोयला डिस्पैच का लक्ष्य दिया गया था. वहीं लक्ष्य से कम यानी रोज 292.2 रैक ही कोयला डिस्पैच हो सका. डिस्पैच में ईसीएल ने लक्ष्य हासिल किया है. वैसे अन्य कोयला कंपनियां लक्ष्य से पीछे रहीं हैं. ईसीएल का उत्पादन लक्ष्य से पीछे रहने की मुख्य वजह राजमहल क्षेत्र में भूमि विवाद है. भूमि विवाद के कारण कंपनी अब तक उबर नहीं सकी है. जानकार बताते हैं कि अगले वित्तीय वर्ष में भी इसका असर ईसीएल पर देखने को मिलेगा. वजह ओवरबर्डेन हटाने में भी ईसीएल की उपलब्धि 50 के आसपास है.